Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 535
________________ ९३२१. दसपाससहस्वाणि दसविंद भूवासो दस कुलेसुं पुह पुछ दस सुपण पंच केसव दहग्रपंकवदीभो पंच पुष्वावर दहमसे अरविंदय हलदुमादीणं दंडपमानंगुलए हुंडा विष्णिसहस्सा णणणसम मोहे दादूण कुल्लिंगीणं दादूण केइ वाणं दाबूर्ण पिंडगं दारम्मि वड्जयंते दारवदीए गेमी refragr दारस्स उबरिदेसे दारुणहुदा सजाला दावरिमतले सुं दावरिमपएसे दारोबरिमपुराणं दिक्खोवासमादि दिण रणयरतलादो दिणरणिजाणण दिvasusसूचिar وو दिवइपतराणि विप्यंतरयणदीवा "" 29 " "" 33 Jain Education International " 39 " 33 31 97 दिवसभर राबबं दिवसं पडि बस तिलोयपणती. ६-८५ | दिव्वतिलयं च भूमीदिव्यपुरं रयणणिहिं दिव्ववरदेहजुत्तं ४- १९८२ ३-१३ ४- १४१७ दिव्वं अमयाहारं ४- २२१५ दिसविदिसं तब्भाए ४ - २३१३ दिसविदिसाणं मिलिदा २४-१६६७ दिसिविदिस अंतरेसुं १२-२३ | दीओ सयंभुरमणो १-१२१ वीणाणादा कूरा ४- ७७३ | दीपिक भिंगारमुद्दा ९-२१ दीवजगदीए पासे १-७३ |दीवम्मि पोक्खरखे ४- ३७४ दीवंगदुमा साहा४-३७२ दीवायण माणवका ४-१५१२ दीवा लवणसमुद्दे ४- १३१६ |दीविंदप्प हुदीर्ण १४ - ६४३ |दीवेसु णगिदे सुं ४-१८६० ४-७७ २-३३१ ८-३५४ ४-४५ दवोदा दीक्ककोसो दत्तरुंदमा दीहत्तं बाहल्लं दीहत्ते विवियासे ४-७४ दीण छिंदिवस ४- १०५१ दुक्खं दुज्जस बहुलं ७-२७२ दुक्खा य वेदणामा ७-२४४ दुखणवणचचउतियणव ७-२३६ | दुखपंचएक्कसगणव ७-२४३ दुगअट्ठएक्कच उणव दुगभट्ठगयणणवयं दुगभट्ठछदुगछक्का दुगइ गितिय तितिणवया ७-२४२ ३-५० ४-२७ युग एक्कच उदुश्च उणभ ४-४६ दुराचं भट्ठाई ७-४४ दुक्क छक्का ८- २११ || तुगलक्कविदुगसत्ता ८-१६९ दुगड दुगमपंचा ७- २२३ |दुगणभएक्किगिलडचड ४- २४४१ | दुगणभणते कपंचा For Private & Personal Use Only ४- १२१ ४-१३९७ ८-२६७ ६-८७ ५-१६६ २-५५ ४-१००५ ५-२३८ ४-१५१९ ४-२७३४ ४-२४७ ४-२७९३. ४-३५० ४-१५८६ ४-२४७८ ३-९८ _३-२३८. १-१११ ४-१५२ ४-८४७ ९-१० ४-२०४७ ८-६०७ ४-६३२ २-४९ ४-२३७७ ४-२८५३ ७-३३६ ४-२७३७ ७-३३० ७-२९ ४-२८६८ ४-२५६० ७-२४९ ७-३१६ ७-३२५ ४-२८८३ ७-३८५ www.jainelibrary.org

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