Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 523
________________ ९१० ] एकपंचकं णय कूडा चेते णवचडचडपणछो णवच छप्पंचतिया णवचउसत्तणहाइं णवजोयणउच्छेदा नवजोयणदीहत्ता वजtयणसहस्सा नवजोयणाणि 33 नवजोपणसत्तसया णवणउदिअधिय अडसय णवणड दिअधियचडसय णवणउ दिजुदच उस्सय raणउदिवसयाणि raणउदिसहस्सं व वणउदिसहस्सा इं ear दिसहस्सा छ " "" णवणउदिसहस्सा णव णवणउदिसहस्वाणि "" " "" " 93 "" 33 " Jain Education International 29 "" " 23 29 यदिसहिदणवसय णवणविद्णवस्य णवणमण्णवपणतिय गवणमतियगिउण्णभ णवणभवणअडचउपण णव णव अट्ठ य बारस वणवदिजुदचदुस्सय वणवदिसणं 39 33 णवतियण भणवदो नवदंडा तियइत्थं तिलोयपण्णत्ती ४-२९०६ ४- २०६० ४-२६८१ ७-३८० ७-२५३ ४-२५९३ ८-६९ ८-७२ ४-९५७ ४-९५८ २-१८० २-१८१ ७-५६३ ४- १३९५ ७- २३५ ७-२३८ ५-२०० ४-२५१६ नवम्बधरसाई ४-२८४० ७-१४९ ४-१७९४ ४-२२२५ ४-२२३९ ४-२४१५ ७-१४४ ७- १४७ ७-५७७ २-१८६ २-१९० ४-२९०८ ४-२८७० ४-२६४५ १-२३१ २-१६७ ७- १४८ ७-४२६ वडा बाबीसं दुगिगिदोणिखंदुग नवदोछ अट्ठचउपण णवपणअडणभचउदुग ४-२६७१ २-२३३ णवपण अडदुगअडणव णवपणवी संणवछ नवमी पुरवण्हे नवमे सुरोगदे णव य सहस्सा मोही णव य सहस्सा चउसय "" ܕܕ " णव य सहस्सा छस्सय णव य सहस्सा णवसय णव य सहस्सा [ तह ] चउ णव य सहस्सा दुसया णयरिप जोइसियाण वर य ताणं कूड वरि विसेसो एक्को 73 "" "" 77 यरिविसेस एसो 19 "" 33 " 33 ,, "" "" " "" 23 वरि विसेसो कूड णयरि विसेसोणियणिय णवरि विसेसो तसि जवारे विसेसो देवा वरि विसेसो पंडुग जयरि विसेसो पुग्दावरि विसेसो सम्वट्ट :: 33 णवरि ह णवगेवज्जा For Private & Personal Use Only २-१३१ ४-२८१२ ४-२६४६ ४-२६९१ ४-२८५६ ४-२५९२ 2-1119 ४-६४८ ४-४६९ ४-१११८ ७-६९५ ७-३११ ७-३९७ ४. १२२८ ४ - १९९० ७.३२७ ४-१७२१ ७-६१८ ४-२३४१ ४-२१३१ ४-२१३५ ४-२३९३ २-१८८ ४-२६२ ४- १७२९ ४-२०५९ ४-२३९१ ८-५९६ ४-२३५६ ४-७९४ ४-२३६६ ७-१०७ ४-२५८५ ७-८ ८-६८४ ८-६९६ ८-६७९ www.jainelibrary.org

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