Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथानुक्रमणिका
[९१९
माणे जदि णियादा
४-४५
टंकुक्किण्णायारो
४-१९६२ ५-२८६९ ७-२४५
ठावणमंगलमेदं
४-२६४ ४-२६९९
गइमित्तिका य रिद्धी णइरिदिदिसाविभागे
९-४० । णभगजघंटणिभार्णि
भगयणपंचसत्ता
णभचउणवछक्कतिय ४-२७११
णभछक्काइगिपणणभ णभछक्कसत्तसत्ता णभणभतिछएक्के
णभणवणभणत्रयतिया १-२०
णभणवतियअडचउपण णभतियतियइगिदोद्दो गभतियदुगदुगसत्ता
णभदाणवपणचउदुग ४-१७६६
णभदोपणणभतियचउ ४-१८३२
णभपणणवणभअडणव ४-१९५७
णभपणदुगसगछक्क ४-२७८३
णभपणदुछपंचंबर ४-१७३१
णमसत्तगयणअडणव ४-१६८१
भसत्तसत्तणभचउ ४-१३६५
जयराणि पंचहत्तर ७-१०८
णयरीए चक्कवट्टी २-२४६
णयरीण तडा बहुविह ४-१४०२
णयरी सुसीमकुंडल णयरेसु तेसु दिव्वा
णयरेसुं रमणिज्जा ४-१४८८
परकंतकुंडमझे
णरणारीणिवहेहिं ५-११२
णरतिरियाण विचित्तं ८-५८०
णरतिरियाणं आऊ ३-२१९ ४-७५७
गरतिरियाणं दटुं ४-७१३ णररासी सामण्णं
लिणं चउसीदिगुणं ४-३३२
णलिणा य णलिणगुम्मा
णवअट्ठपंचणवदुग ९-२५ णवअटेक्कतिछक्का ४-२६३७ णवअडसगणवणवतिय ४-२६५८ णवअभिजिप्पहुदीणि ४-२६७९ | गवइगिणवसगछप्पण ४-२७६२ गवइगिदोद्दोचउणभ
४-१६८९ ४-२८९३ ४-२८५४ ४-१२६८ ४-११७७ ४-२९२८ ४-२८४६ ४-२२३७ ४-२२७८ ४-२४५२ ४-२२९७
६-६६
४-२६ ४-२३३० ४-२२७७
णइरिदिपवणदिसाओ णइरिदिभागे कूडं णइरिदिसाए ताणं णइवणवेदीदारे णउदिजुदसत्तजोयण उदिपमाणा हत्था उदिसहस्सजुदाणिं णउदीजुदसदभजिदे णक्खत्तसीमभागं पक्वत्तो जयपालो जग्गोहसत्तपणं मचंतचमरकिंकिणि णच्छतविचित्तधया पश्चिदविचित्तकोडण णयसालाण पुढे गट्टयसाला थंभा ण जहदि जो दु ममत्तं गस्थि असण्णी जीवा गस्थि णहकेसलोमा णस्थि मम कोइ मोहो
भअट्टणवडदुगपण णभअडदुअट्ठसगपण गभइगिपणणभसगदुग गमएक्कपंचदुगसग
४-३०४
४-२९२५
४-२९८ ४-१९६६
४-२९०० ७-४६०
४-२०१४
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