Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 520
________________ गाथानुक्रमणिका [९१७ ८-६५५ وای ८-२१६ ४-२४७७ ८-२९६ ४-२५०८ ३-२४१ ५-११५ जुत्ता घणोवहिघणा८-३४७ जुदिसुदिपईकराओ ३-१०८ | जुवरायकलत्ताण जे अब्भंतरभागे ४-१६४२ जे अभियोगपइण्णय ४-७५३ जे कुम्वंति ण भत्ति ८-५७६ जे केइ अण्णाणतवेहिं जुत्ता ४-२०५३ जे कोहमाणमाया ८-६७७ | जे गेहंति सुवण्ण ४-१९९८ जे छंडिय मुगिसंघ ४-४० जे जुत्ता गरतिरिया ४-२४५५ ८-५६० जे जेटदारपुरदो ४-९२९ - जेटम्मि चावपट्टे ३-२१५ जेट्ठसिदबारसीए २-४२ जेटस्स किण्हचोद्दसि ४-२५०९ ४-२५०६ ४-२९४७ ५-२९२ ४-१९२२ ४-१८९ ४-११९९ ४-१२०० ४-६५९ जिणचरियणालयं ते जिणदिट्ठणामइंदय जिणदिपमाणाओ जिणपासादस्स पुरो जिणपुरदुवारपुरदो जिणपुरपासादाणं जिणपूजाउज्जोगं जिणभवणप्पहुदी] जिणमहिमदंसणेणं जिणमंदिरकूडाणं जिणमंदिरजुत्ताई जिणमंदिररम्माओ जिणलिंगधारिणो जे जिणवंदणापयट्टा जिणोवदिवागमभावणिज्जं जिब्भाजिब्भगलोला जिभिदियणोइंदिय जिभिदियसुदणाणाजिब्भुक्कस्सखिदीदो जीउप्पत्तिलयाणं जीए चउधणुमाणे जीए जीवो दिट्ठो जीए ण होति मुणिणो जीए पस्सजलाणिल जीए लालासेमच्छी जीवसमासं दो च्चिय जीवसमासा दोणि य जीवाए जं वग्गं जीवाकदितुरिमंसा जीवाण पुग्गलाणं जीवा पोग्गलधम्मा जीवाविक्खंभाणं जीवो परिणमदि जदा जीहासहस्सजुगजुद जीहोटदतणासा जुगलाणि भणंतगुणं अगवं समंतदो सो ४-९८७ जेट्ठस्स बहुलचोत्थी ४-९८८ जेटस्स बहुलबारसि ४-२१५९ जेटस्स बारसीए ४-१०९१ जेटुंतरसंखादो ४-१०७९ जेट्टाए जीवाए ४-१०५८ जेटामो साहाओ ४-१०७३ जेठाण मज्झिमाणं जेट्टाणं विच्चाले जेट्ठा ते संलग्गा ४-४१२ | जेटा दोसयदंडा ४-२०२५ जे हिरवेक्खा देहे ४-१८२ | जेत्तियकुंडा जेत्तिय ४-२८० जेत्तियजलणिहिउवमा १-९२ जेत्तियमेत्ता आऊ ४-२५९७ जेत्तियमेत्ता तस्सि ९-५६ जेत्तियमेत्ता याऊ ४-१८७५ जेत्तियविज्जाहरसेटि४-१०७१ जेत्तण मेच्छराए ४-३५७ ! जे पंचिंदियतिरिया ४-१७९० जे भुजंति विहीणा ४-५३९ ४-२४२६ ४-१८७ ४-२१५६ ४-२४२८ ४-२४१४ ४-२४१३ ४-२३ ८-६४८ ४-२३८८ ३-१७४ ४-१७६४ ३-१६१ ४-११४८ ८-५६६ ४-२५.. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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