Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 524
________________ गाथानुक्रमणिका [ ९२१ tra लक्खा वणउदी णवीस सहसाणि णवसयण उदिणवे सुं नवसंवछरसमधिय णव हत्था पासजिणे वहिदुबावीससहस्स ण वि परिणमदि ण गेण्हदि ण हि रज्जं मल्लिजिणे हुमण्णदि जो एवं १-१८ ४-४६७ ४-११५ ८-६०२ ४-२२१० २-९१ ४-११०० ४-२८४८ ४-१२४३ ४-९४९ ४-५८७ २-१८३ ९-६४ ४-६०३ ९-५४ ४-१९७० ४-१८०६ णामणिट्ठावना दो णामेण कंतमाला णामेण कामपु णामेण चित्तकूडो णामेण भहसालं णामेण मेच्छखंडा णामेण यं जमकूडो णामेण सिरिणिकेदं ४-१८०५ ४-२२८८ ४-२०७६ ४- १२३ ४-११९ ८-१४० ४-१४७ ४-१५४२ ४-२३९९ णामेण ईसगब्र्भ नामे सणक्कुमारो णामेहिं सिद्धकूडो णारयतिरियमदीदो नावाए उवरि णावा दणणामा मंदर ४-२००१ ५-६२ ५- १४९ गांव गरुडगदा ३- ४५ | णादि विग्धं भेददि दादवदीभो णंदादिओ तिमेहल दादी भतिमेहल दावत कर दीय दिमित् 10 ३-७९ १- ३० ४-१६१० ४-२२८९ ४-१६४९ ८-१४ ४-१४८२ ५-५७ ५-४६ णासंति एक्कसमए पुलिंद बब्बर णाई देहो ण मणो णा पोग्गलमइभो नाई होमि परेसिं ९-२८ बहुम ९-३० ९-२६ ९-३२ ५-८२ ४-७८४ ४-९६५ दीसरवारिणिि मंदीर विदिसासुं दुत्तरदाओ कुंथू धम्मो णाणम्मि भावणा खलु गाणं होदि प्रमाणं नाजणवदणिहिदो णाणारयण विणिम्मिद णिउदं चुलसीदिदं ९ - २३ | णिक्कमिदूणं वच्चदि ९-३४ ४-२९५ ४-२११८ २-२८९ १-८३ ४-२२६७ ४-२२४४ १-७१ णिक्कता रियादो णिक्कंता भवणादो णिग्गच्छते चक्की ३-१९५ ४-१३४६ ४-२०६८ णिग्गष्क्रिय सा गच्छदि ५-३ णिच्च चि एदाणं ४-१०४७ ४- १२८ ४-४२७ ८-२१३ ५-१६० ाणावर पहुदि जाणा विखेत्तफलं णाणाविहगदिमारुद णाणाविह जिनगेहा नानाविधतूरे हिं णाणाविहवण्णाओ नाणा विहवाहण्या जादू देवोयं नाभिगिरिण णाभिगिरी free विमलसरूवा णिच्चुज्जीवं विमलं iिgवियं घाइकम्मं निण्णरायदोसा ८-४२० २-११ ५-९८ | सिस्स सरूवं ९-६९ 9-69 ४-२ २-२ ८-५७४ ५-२५४५ ४-९१३ TP. 116 Jain Education International यिणिवासखिदिपरमाणे भिरभत्तिपसत्ता For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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