Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 529
________________ ९२६] तस्सि कुबेरणामा तस्सि चिय दिग्भाए तस्सि जं अवसेसं तस्सि जंबूदीवे तस्सि जिदिपडिमा तस्सि लिए णिवसइ तस्सिद्यस्स उत्तर " " "" "" 23 "" सि दीवे परिद्दी तस्सि देवारपणे तस्सि पासादवरे सिपि सुदुस्सम तसि बाहिरभागे तस्सि संजादाणं "" 93 35 19 ܕܪ सिरिया देवी तच्छे हो दंडा ار 37 " Jain Education International "" " तस्सुतरदारेण तस्सुवदेवसेन तस्सूभीए परिदी तस्सोवरि सिदपक्खे तह भट्ट दिग्गइंदा तह बवालुका वह पुण्णभइसीदा वह पुंडरीकिणी वारुणि तह य उब कमलं तह य जयंती रुचकुत्तमा वह यतिविदुषा तह य पभंजणणामो वह व सुगंधिणिवेद वह सुभद्दाभदामो तिलोयपण्णी ४-१८५२ तह सुपपदी ५- २०४ ४- १५०२ ४-९० तं वज्जाणं सीयल तं चिय दीवण्वासे तं चिय पंचसयाई ४-१५९ चोपवि वं तस्स भग्गपिंडे तं पणतीसप्पदं तं पि य अगम्मतं ४-२५८ ८-३४० ८-३४२ ८-३४८ | तं पिंडमट्ठलक्खे सु ८- ३५० ४-२३१७ ४-१९६५ ४-१९६७ ४-१६१६ तमझे मुहमेक्कं ४- ५० तंमणुत्रे तिसगदे तं मूले सगतीसं तं रुंदायामेहिं तं वग्गे पदरंगुल संसोधितॄण तत्तो P ४- २७३५ ताई चिय केवलिणो ४- ३९९ | ताई चिय पत्तेक्कं ४-४०७ ताहि विस्सा ताम्रो आवाधामो ४-१६७२ ४-४४५ ताडणता सणबंधण ताण खिदीणं ट्ठा ४-४४९ ४-४५४ ताण जुगलाण देहा ताण णवराणि अंजण ४-४६१ ४-२३५३ ताण दुवारुच्छेदो वाणमंतरभागे ४-१३२० "" "" ४-२८३३ 21 "" ४-२४४६ ताण भवणाण पुरदो ४-२३९५ 2-14 ४-२०६१ ५-१५८ ताण यपच्चक्खाणाताण सरियान गहिरं साग उदयहुदी ताणं उवदेसेण य ८- ९३ ५-१७६ ताणं कणयमाणं ४-५१८ ताणं गुद्दाण रुंदे ३-१९ ताणं गेवज्जाणं ४-१२४ ताणं च मेवासे ६-५३ | ताणं चूले उबरिं For Private & Personal Use Only ८-१०५ ४-८८ ४-२६११ १-१०८ ७-१२५ ४-१५२७ १-२३४ ७-६ ४- २४३० १-१३९ ४-४४४ ४- १७९८ ४-१९०२ १-१३२ १-२७५ ४-११५५ ४-११७० ४-४४३ ७-५८५ ४-६१७ २-१८ ४-३८४ ६-६० ४-३१ ४-७५१ ४-७६५ ४-७६७ ४-१९२० २-२७४ ४- १३४१ ४-१७५९ ४-२१३७ ४-८७९ ४-२७५३ ८-१६७ ४-२०२८ 8-941 www.jainelibrary.org

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