Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 530
________________ ताणं जयरतळाणं सार्ण णयरतलानिं ताणं दक्खिणतोरण ताणं दिणयरमंडल ताणं दोपासेसुं तापण ताणं पि अंतरेसुं सापि मन्झभागे ताणं पुराणि जाणा तार्ग म नियणिय ताणं मूले उवारें 99 ताणं रुपयतवणिय ताणं वरपासादा 39 "" ताणं विमाणसंखा ताणं इम्मादीणं ताणं देहिममज्झिम वाणिं णवरतकाणि " " 03 19 ताणोवरि दियाई ताणोवरि भवणाणि ताणीवरिमपुरे खु वादे देवीणिव ताधे तग्गिरिमज्झिम ताधे तग्निरिवासी ताधे रसजलवाहा ताराको किचियादिसु वारुणं तदितरकं Jain Education International तावखिदिपरिधी तावे खग्गपुरीए तावे सिहागिरिंदे तावे मुहुसमधियं तासुं अज्जाखंडे ताहे भज्जाखंड वादे एसा वसुदा गायानुक्रमणिका ७-९० | ताहे गभीरगञ्जी ७-९४ वाडे गरुवगभीरो ४-२२६३ ताहे चचारि जणा ४-८८६ ता ताणं उदया ४-२५३६ | ताहे दुस्सम कालो ८-५२३ | तापविसदि नियमा ४-१८८७ ताहे बहुविधसहि ४-७६३ | ताहे सक्काणाए ७- १०९ तिगुणियपंचसयाई ४-७६६ तिगुणियवासा परिही विद्वाणे सुण्णागि ३-४१ ४-१९३३ 99 ४- २०१६ |तिष्णि च्चिय लक्खाणिं. ४ - १६५३ | तिणि तडा भूवासो ४- २४५४ तिष्णि पलिदोवमाणिं 21 तिष्णि महण्णव उवमा विणि सवार्णि पन्ना ८-३०२ ४-८१३ ४- २४६२ विष्णिसहस्सा उस ७-९७ ७-१०२ ७-१०५ ४-८८४ ५-१४७ ५-१३८ ८-५७५ तिष्णि सुपासे चंदष्पद ४- १३२३ | तिष्णेव उत्तराओ तिष्णिसहस्सा छस्सय तिष्णिसहस्सा णवसय तिष्णिसदस्या विसया 39 तिणि सहस्सा दुसया 39 33 "" ४-१३२६ ४-१५६१ वित्तादिविविमष्णं ७ - ४६३ | वित्थपयट्टणकालपमाणं ४-६३९ तित्थयरचक्कबलहर ७-३६० तित्ववरणामकम्मं ७- ४३६ |तिरथयर संघम हिमा ७-४४५ तिरयणं काळे ७- ४३७ तित्थयराणं समए ४ - १३७३ | तित्थयरा तग्गुरभ ४-१५५३ ४-१५९८ 33 29 विहारतिकोणाओ तिप्परिमाणं भाऊ For Private & Personal Use Only 1 [ ९२७ ४-१५४९ ४-१५४५ ४-१५३० ४-१५९७ ४-१५६७ ४-१६०६ ४-१५७३ ४-७१० ४-११२२ ५ २४१ ३-८२ ३-८६ ८-२२४ १-३५८ ३-१५१ ८-४९५ ४- ११५८ ७-५९५ २-१७३ २-१७९ ४-२०५२ ४ २४३२ २-१७१ ४-१९८५ ४-१०९४ ७-५१८ ७-५२४ ४-१०७४ ४- १२७५ ४-५११ ४-१५८४ ३-२०४ ४-१५८७ ८-६४४ ४-१४०३ २-३१२ ३-१५४ www.jainelibrary.org

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