Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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तिलोयपण्णत्ती
४-२५२३ ८-६७८ ८-११७ ४-३६२ ८-४५५
४-९८ ३-३० ४-७४३ ४-७९३
९०८] गंगारोहिहरिओ गंगासिंधुणईहिं गंगासिंधुणदी] गंगासिंधूणामा गंडमहिसवराहा गंतुं पुख्वाहिमुहं गंतूण थोवभूमि गंतूण दक्षिणमुद्दो गंतूर्ण लीलाए गंतूर्ण सा मझ गंतूणं सीदिजुदं गंधवणयरणासे गामणयरादिसम्वं गामाणं छपणउदी गायति जिणिंदाणं गालयदि विणासयदे गिद्धा गरुडा काया गिरिउदय चउब्भागो गिरिउवरिमपासादे गिरितडवेदीदारं गिरितडवेदीदारे गिरिबहुमज्झपदेस गिरिभद्दसालविजया
४-२३४५
४-२४९८ ४-१९२९ ४-९३४ ३-२२४ ४-७४१
४-२३७२, गुणिदूण दसेहिं तदो
गेण्हते सम्मतं ४-१५४७ । गेवज्जमणुद्दिसयं ४-२२९६ गेवज्ज कण्णपुरा
४-६०५ गेहुच्छेहो दुसया ४-१३०७
गोउरतिरीटरम्म ४-२५३ गोउरदारजुदाओ ४-१३३२
गोउरदुवारमझे ४-१३०८
गोउरदुवारवाउल ४-२३३९ गोकेसरिकरिमयरा
गोधूमकलमतिलजव ४-६११
गोमुत्तमुग्गवण्ण
गोमुहमेसमुहक्खा ४-२२३६
गोमेदयमयखंधा
गोवदणमहाजक्खा १-९
गोसीरमलयचंदण २-३३५ गोसीसमलयचंदण ४-२७७१ ४-२७५
गोहत्थितुरयभत्थो ४-१३६२ ४-१३३७ ४-१७१५
घडतेल्लभंगादि ४-२६०४
घणघाइकम्ममहणं ४-२८२३
घणघाइकम्ममहणा ७-१४५ घणफलमुवरिमहटिम
घणफलमेक्कम्मि जवे ४-३५५ ४-९३६ '१-२४५
घणयरकम्ममहासिल २-२७२ घणसुसिरणिद्धलुक्ख ३-१८३ घम्माए आहारो ४-४११ घम्माए णारइया ८-६६३ धम्मादीखिदितिदए
घम्मादीपुढवीगं ४-३६७
घम्मावसामेघा
घंटाए कप्पवासी ५-१९८ ! घाणिदियसुदणाणा
२-३०४
४-१०१४
९-७०
गिरिससहरपहवडी गीदरदी गीदरसा गीदरवेसुं सोत्तं गुज्झको इदि एदे गुणगारा पणणउदी गुणजीवा पज्जत्ती
१-१७४ १-२१९ १-२३७ १-२५४ ४-१७८७ ४-१००४ २-३४६ २-१९५
२-३५९ - २-४६
१-१५३
गुणठाणादिसरूवं गुणधरगुणेसु रत्ता गुणपरिणदासणं परिगुणसंकमणसरुव
४-९९१
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