Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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- ८. ३५२ ]
अट्टम महाविया
[ ८१९
महसुक्किंदय उत्तरदिसाए अट्ठरस सेदिवद्वेसुं । दसमम्मि सेढिबद्धे वसई महासुकणानिंदो ॥ ३४५ होदि सहस्सारुत्तरदिसाए सत्तरस सेढिबद्वेसुं । अट्ठमए सेढिवढे वसई सहस्सारणामिंदो || ३४६ जिण दिगाम इंदय दक्खिणओलीए सेढिबद्वेसुं । छटुमसेढब आगदणामिंदआवासो || ३४७ तस्सिदयस्त्र उत्तरदिसाए तस्संखसेढिब द्वेसुं । छट्टम सेठीबद्धे पाणदणामिंदआवासो ॥ ३४८ आरणइदयदक्खिगादिसाए एकरससेढिब हम्मि । छट्टमसेटीबडे [ आरणईदस्स आवास ॥ ३४९ तस्सिदयस्त उत्तर दिसाए एक्करस सेढिबद्धम्मि । छट्टमलेढीकडे ] अच्चुदईदस्स आवासो ॥ ३५० छज्जुगलसेस एस अट्ठारसमम्मि सेढिबद्धेसुं । दोहीणकर्म दक्खिणउत्तरभागस्मि होंति देविंदा ॥ ३५१ पाठान्तरम् ।
एदाणं सेढीओ पत्तेक्कन संजोय गागा | रविमंडलसनवा गाणावररयणणिवरमया ॥ ३५२
I
महाशुक्र इन्द्रकी उत्तर दिशा में अठारह श्रेणीबद्धोंसे दशवें श्रेणीबद्ध में महाशुक्र नामक इन्द्र निवास करता है ॥ ३४५ ॥
सहस्रार इन्द्रकी उत्तर दिशाने सत्तरह श्रेणीबद्धों से आठवें श्रेणीबद्ध में सहस्रार नामक इन्द्र निवास करता है ॥ ३४६ ॥
जिन भगवान् से देखे गये नामवाले इन्द्रककी दक्षिणपंक्तिके श्रेणीबद्धों में से छठे श्रेणी में आनत नामक इन्द्रका निवास है ॥ ३४७ ॥
इस इन्द्रकी उत्तर दिशा में उतनी ही संख्या प्रमाण श्रेणीबद्धों से छठे श्रेणीबद्धमें प्राणत नामक इन्द्रका निवास है ।। ३४८ ॥
आरण इन्द्रककी दक्षिण दिशाके ग्यारह श्रेणीबद्धों में से छठे श्रेणीबद्धमें आरण इन्द्रका निवास है ॥ ३४९ ॥
उस इन्द्रकी उत्तर दिशा के ग्यारह श्रेणीबद्धों में से छठे श्रेणीबद्ध अच्युत इन्द्रका आवास है || ३५० ॥
छह युगलों और शेष कल्पोंमें यथाक्रमसे प्रथम युगलमें अपने अन्तिम इन्द्रसे सम्बद्ध अठारहवें श्रेणीबद्ध में तथा इससे आगे दो हीन क्रमसे अर्थात् सोलहवें, चौदहवें, बारहवें, दसवें, आठवें और छठे श्रेणीबद्ध में दक्षिण भागमें दक्षिण इन्द्र और उत्तर भागमें उत्तर इन्द्र स्थित हैं ॥ ३५९ ॥
पाठान्तर ।
सूर्यमण्डलके समान गोल और नाना उत्तम रत्नसमूहों से निर्मित इनकी श्रेणियों में सें प्रत्येक असंख्यात योजन प्रमाण है || ३५२ ॥
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१ ब 'मसंखेज्जजोयण',
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