Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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तिलोषपण्णवी
भरुणवरणामदीमो मरुणवरदीवबाहिर
-101 ४-१०३ ४-१०४१
भल्णवरचारिरासि अवदुंबरफलसरिसा अवमिदसंका केई भवरविदेहस्संते भवरमझिमउत्तम भवरा भोहिधरित्ती भवराओ जेट्टद्दा भवराजिददारस्स भवराहिमुहे गच्छिय भवरुक्कस्सं मझिम भवरे वि सुरा तेसि भवसप्पिणिउस्सप्पिणि
५-१७ भविराहिदूण जीवे .
८-५९७ . ८-६०९/ अधिराहिय तल्लीणे
५-४७ अविराहियप्पुकाए ४-२२५२ अव्वाबाहसरिच्छा
३-१९८ अव्वाबाहारिट्ठा ४-२२०३ असवत्तसयलभावं १-१२२ असिमुसलकणयतोमर
| असुची यपेक्खणिज्ज
असुरप्पहुदीण गदी ४-२४७४ असुरम्मि महिसतुरगा ४-१३२९ असुराण पंचवीस
असुराणमसंखेज्जा ८-३९३ असुरा णागसुवण्णा ४-१६१४ असुरादिदसकुलेसुं
८-६२७ ८-६२६ ४-९७४ ८-२५७ ४-६२३ ३-१२४
३-१७६ ३-१८.
३-१०७ ३-१७५ ३-१३०
४-७१८
भवसप्पिणिए एवं भवसप्पिणीए एवं अवसप्पिणीए दुस्सम भवसादि अद्धरज्जू भवसेसईदयाणं भवसेसकप्पजुगले भवसेसठाणमझे भवसेसवण्णणाओ
४-५१९
४-२२९९
७-५४९ असुरादी भवणसुरा
असुहोदएण यादो ४-१६१२ असोयवणं पढमं १-१६० अस्सउजसुक्कपडिवद २-५४
अस्सग्गीवो तारग ८-६९४ अस्सग्गीवो तारय ४-२७४२
अस्सजुदकिण्हतेरसि
अस्सजुदसुक्कअट्ठमि ४-१७४४
अस्सस्थसत्तवण्णा १-२०९३
अस्सपुरी सीहपुरी ४-२७१५
अह को वि असुरदेवो ३-१६७ | अह चुलसीदी पल्ल ७-५१९ अह णियणियणयरेसुं ७-५२३ अह तीसकोडिलक्खे
अह दक्खिणभाएणं ४-२०४४ ३-१९९ अह पउमचक्कवट्टी
अह पंचमवेदीओ
अह भरहप्पमुहाणं ४-१०३९ मह माणिपुण्णसेल ४-१०४० अहमिंदा जे देवा
अवसेससुरा सम्वे भवसेसा णक्खत्ता
६-८६
भवसेसाण गहाणं भवसेसेसुं चउसुं भविणयसत्ता के भवि य बंधो जीवाणं भविराहिदूण जीवे
४-१३५१ ४-१३५६ ४-१२८५
४-८६४ ४-१३०३
४-६३५
४-७०९
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