Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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६८०] तिलोयपण्णत्ती .
[ ७. १५२उणवण्णजुदेक्कसयं जोयगलक्खं कलाओ तिग्णिसया । एकत्तरी ससीणं अट्ठममग्गम्मि विच्चालं ॥ १५२ .
एक्कं जोयणलक्खं बावीसजुदा बियसयाणि । दोउत्तरतिसयकला णवमपहे ताण विच्चालं ॥ १५३
एक्कं जोग्रणलक्खं पणणउदिजुदाणि दोण्णि य सयाणि । बेसयतेत्तीसकला विच्चं दसमम्मि इंदूर्ण ॥१५४
एक्कं जोयणलक्खं अट्ठासट्ठीजुदा य तिणि सया। च उसहिसदकलाओ एक्करसपहम्मि तं विच्चं ॥ १५५
१००३६८ १४६४ एक्कं लक्खं चउसय इगिदाला जोयणाणि अदिरेगे। पणणउदिकला मग्गे बारसमे अंतरं ताणं ॥ १५६
चउदसजुदंपचसया जोयणलक्खं कलाओ छब्बीसं । तेरसपहम्मि दोण्हं विच्चालं सिसिरकिरणाणं ॥ १५७
१००५१४ | २६॥
आठवें मार्गमें चन्द्रोंका अन्तराल एक लाख एक सौ उनचास योजन और तीन सौ इकहत्तर कला अधिक है ॥ १५२ ॥ १०००७७.१३ + ७२३५४ - १००१४९४२४ ।
नौवे मार्ग में उन चन्द्रोंका अन्तराल एक लाख दो सौ बाईस योजन और तीन सौ दो कला अधिक है ॥ १५३ ॥ १००१४९३७१ + ७२३५८ = १००२२२३०२ ।
दशवें पथमें चन्द्रोंका अन्तराल एक लाख दो सौ पंचानबे योजन और दो सौ तेतीस कलाप्रमाण है ॥ १५४ ॥ १००२२२३९२ + ७२१५८ = १००२९५९३३ ।।
___ग्यारहवें पथमें यह अन्तराल एक लाख तीन सौ अड़सठ योजन और एक सौ चौसठ कला अधिक है ॥ १५५ ॥ १००२९५१३३ + ७२ ३५४ = १००३६८४६४।।
बारहवें मार्गमें उन चन्दोंका अन्तर एक लाख चार सौ इकतालीस योजन और पंचानबै कला अधिक है ॥ १५६ ॥
१००३६८१६४ + ७२३५४ = १००४४१.९५ । तेरहवें पथमें दोनों चन्द्रोंका अन्तराल एक लाख पांच सौ चौदह योजन और छब्बीस कला प्रमाण है ॥ १५७ ॥ १००४४१,९५ + ७२.३५८ = १००५१४.२६ ।
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