Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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७.५३७]
सत्ता महाबियारी
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भालाढपुष्णिमीए जुगणिष्पत्ती दु सावणे किन्हे | अभिजिम्मि चंदजोगे पाढिवदिवसम्मि पारंभो ॥ ५३० सावणकिरहे तेरसि मियखिररिक्खम्मि बिदियआउट्टी । तदिया विसाहरिक्खे दसमीए सुक्कलम्मि तम्मासे ॥ पंचसु वरिसे दे सावणमासम्म उत्तरे कट्ठे । भावित्ती दुमणीणं पंश्चेव य होंति नियमेणं ॥ ५३२ माघस्स किण्हपक्खे सतमिए रुद्दणाममृहुते । इत्थम्मि हिंददुमणी दक्खिणदो एदि उत्तराभिमुद्दे ॥ १३३ atre सदभिए के बिदिया तइज्जयं किण्हे । पक्खे पुस्से रिक्खे पडिवाए होदि तम्मासे || ५३४ foot तयोदसीए मूले रिक्वम्मि तुरिमआवित्ती । सुक्के पक्खे दसमिय वित्तियस्क्खिमि पंचमिया ॥ ५३५ पंच वर दे माघे मासम्मि दक्खिमे कट्टे । आवित्ती दुमणीणं पंचैव य होंति नियमेणं ॥ ५३६ होदि हु पक्रमं विसुपं कलियेमासम्म किण्हतझ्याए । छसु पञ्चमदीदेसु वि रोहिणिणामम्मि रिक्यम् ॥१३७
आसाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन पांच वर्ष प्रमाण युगकी पूर्णता और श्रावण कृष्णा .. प्रतिपद के दिन अभिजित् नक्षत्र के साथ चन्द्रमाका योग होनेपर उस युगका प्रारम्भ होता है ॥ ५३० ॥
श्रावण कृष्णा त्रयोदशीके दिन मृगशीर्षा नक्षत्रका योग होनेपर द्वितीय और इसी मासमें शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन तृतीय आवृत्ति होती है ॥ ५३१ ॥
[ चतुर्थ और पंचम आवृत्तिसूचक गाथा छूट गया प्रतीत होता है । (देखो त्रि. सा. ४१४ ) ] सूर्य उत्तर दिशाको प्राप्त होनेपर पांच वर्षोंके भीतर श्रावण मास में ये नियमसे पांच ही आवृत्तियां होती हैं ॥ ५३२ ॥
हस्त नक्षत्र पर स्थित सूर्य माघ मासके कृष्ण पक्ष सप्तमीके दिन रुद्र नामक मुहूर्तके होते दक्षिणसे उत्तराभिमुख प्राप्त होता है ॥ ५३३ ॥
इसी मासमें शतभित्र नक्षत्रके रहते शुक्ल पक्ष की चतुर्थीके दिन द्वितीय और कृष्ण पक्षको पड़िवाके दिन पुष्य नक्षत्रके रहते तृतीय आवृत्ति होती है ।। ५३४ ॥
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशीके दिन मूल नक्षत्रके रहते चौथी और शुक्ल पक्ष की दशमी तिथिको कृत्तिका नक्षत्रके रहते पांचवीं आवृत्ति होती है ॥ ५३५ ॥ पांच वर्षो के भीतर माघ मासमें दक्षिण अयनके आवृत्तियां होती हैं ।। ५३६ ॥
होनेपर नियमसे ये पांच ही सूर्योकी
समान दिन-रात्रि स्वरूप विषुपोंमेंसे प्रथम विषुप कार्तिक मासमें कृष्ण पक्षकी तृतीया तिथिको छह पर्वोंके ( पौर्णमासी और अमावस्या ) वीतने पर रोहिणी नामक नक्षत्रके रहते होता है ॥ ५३७ ॥
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