Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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- ८.६८ ]
अट्टमा महाधियारो
[ ७७९
तेरसजोयणलक्खा चडसयहगवण्ण छस्सहस्साणिं । एक्कोणवीसशंसा होदि सहस्सारवित्थारो ॥ ६४
१९
१३०६४५१
३१
लक्खाणि बारसं चिय पणतीससहस्स चउसयाणि पि । तेसीदि जोयणाई सगवीसकलाभो भाणदे रुवं ॥ ६५
१२३५४८३|२९|
एक्कार लक्खाणि चउसट्टिसहस्स पणुसयाणिं पि। सोलस य जोयणाणि चत्तारि कलाओ पाणदे रुंद ॥
११६४५१६
४ ३१
लक्खं दसप्पमाणं तेणउदिसहस्स पणसयाणि च । भढदालजोयणाई बारसशंसा य पुप्फगे रुंदो ॥ ६७
३१
दसोय लक्खा बावीससहस्स पणुसया सीदी। वीसकलाभो रुंद सायंकरइंदयस्स' नादखं ॥ ६८
१०९३५४८
सहस्रार इन्द्रकका विस्तार तेरह लाख छह हजार चार सौ इक्यावन योजन और उन्नीस भाग अधिक है ॥ ६४ ॥ १३०६४५१३१ ।
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१०२२५८०
२५८० ||
आनत इन्द्रकका विस्तार बारह लाख पैंतीस हजार चार सौ तेरासी योजन और सत्ताईस कला अधिक है ।। ६५ ।। १२३५४८३३ ।
प्राणत इन्द्र का विस्तार ग्यारह लाख चौंसठ हजार पांच सौ सोलह योजन और चार कला अधिक है || ६६ | ११६४५१६३९ ।
पुष्पक इन्द्रकका विस्तार दश लाख तेरानचे हजार पांच सौ अड़तालीस योजन और बारह भाग अधिक है ॥ ६७ ॥ १०९३५४८३२ ।
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शतिंकर ( शातक) इन्द्रकका विस्तार दश लाख बाईस हजार पांच सौ अस्सी योजन और बीस कला अधिक जानना चहिये ॥ ६८ ॥। १०२२५८०३ ।
१ द सयंकरादस्स, ब सयंकरइंदस्स.
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