Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-७. ४८८] सत्तमो महाधियारो
[७४१ पचसहस्सा दुसया अट्ठासीदी य जोयणा अधिया । चित्ताओ रोहिणीओ जति मुहुत्तेण पत्तेकं ॥ ४४२ अदिरेकस्स पमाणं कलाओ सगसत्ततिणहदुगमेत्ता । अंककमे तह हारो खछक्कणवएक्कदुगमाणे ॥ ४८३
५२८८ / २०३७७ ।
२१९६० बावण्णसया बाणउदि जोयणा वञ्चदे विसाहा य । सोलससहस्सणवसयसगदालकला मुहुत्तेणं ॥ ४८४ .
|१६९४७
५२९२ | २१९६० । तेवण्णसयाणि जोयणाणि वच्चदि मुहुत्तेणं । चउवण्ण चउसया दससहस्स अंसा य अणुरादा॥ ४८५
५३०० | १०४५४ |
|२१९६० तेवण्णसयाणि जोयणाणि चत्तारिं वच्चदि जेट्ठा । अंसा सत्तसहस्सा चउवीसजुदा मुहुत्तेणं ॥ ४८६
५३०४ | २१९६० ।
पुस्सो असिलेसाओ पुव्वासाढा य उत्तरासाढा । हत्थो मिगसिरमूला अहाओ अट्ठ पत्तेकं ॥ ४८७ तेवण्णसया उणवीसजायणा' जंति इगिमुहुत्तेणं । अट्ठाण उदी णवसय पण्णरससहस्स अंसा य ॥ ४८८
५३१९ १९९०
चित्रा और रोहिणी से प्रत्येक एक मुहूर्तमें पांच हजार दो सौ अठासी योजनसे अधिक जाते हैं । यहां अधिकताका प्रमाण अंकक्रमसे शून्य, छह, नौ, एक और दो अर्थात् इक्कीस हजार नौ सौ साठसे भाजित बीस हजार तीन सौ सतत्तर कला है ॥ ४८२-४८३ ।।
५२८८३१३६४ विशाखा नक्षत्र बावन सौ बानबै योजन और सोलह हजार नौ सौ सैंतालीस कला अधिक एक मुहूर्तमें गमन करता है ॥ ४८४ ॥ ५२९२३६९४ ।
___ अनुराधा नक्षत्र एक मुहूर्तमें तिरेपनसौ योजन और दश हजार चार सौ चौवन भाग अधिक गमन करता है ॥ ४८५ ॥ ५३००३६४५४।।
ज्येष्ठा नक्षत्र एक मुहूर्तमें तिरेपन सौ चार योजन और सात हजार चैबीस भाग अधिक गमन करता है ॥ ४८६ ।। ५३०४३१२६ ।
पुष्य, आश्लेषा, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढा, हस्त, मृगशीर्षा, मूल और आर्दा, इन आठ नक्षत्रों से प्रत्येक एक मुहूर्तमें तिरेपन सौ उन्नीस योजन और पन्द्रह हजार नौ सौ अट्ठानबै भाग अधिक गमन करते हैं ॥ ४८७-४८८ ॥ ५३१९३१६६।
१६ उणवण्णसयजोयणा, ब उणजोयणा.
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