Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-७. ४६७] सत्तमो महाधियारो
[७३७ - णव अभिजिप्पहुदीगि सादी पुवाओ उत्तराओ वि । इय बारस रिक्खाणि चंदस्स चरंति पढमपहे ॥४६० तदिए पुणब्वसू मघ सत्तमए रोहिणी य चित्ताओ । छ?म्नि कित्तियाओ तह य विसाहाओ अट्टमए॥ दसमे अणुराहामओ जेहा एक्कारसम्मि पण्णरसे । हस्थो मूलादितियं मिगसिरदुगपुस्सभसिलेसा ॥ ४६२ ताराओ कित्तियादिसु छप्पंचतियेकछक्कतियछक्का । चउदुगदुगपंचेक्का एक्कचउछतिणवचउक्का य॥ घउतियतियपंचा तह एककरसजुदं सयं दुगद्गाणि । बत्तीस पंच तिण्णि य कमेण णिहिट्ठसंखाओ ॥ ४६४
६।५।३।१।६।३ । ६।४ । २।२।५।१। । ४ । ६ । ३ । ९।४ । ४।३। ३।५।१११ । २।२। ३२ । ५।३। वीयणयसयलउड्ढी कुरंगसिरदीवतोरणाणं च । आदववारणवम्मियगोमुत्तं सरजुगाणं च ॥ ४६५ . हत्थुप्पलदीवाणं अधियरणं हारवीणसिंगा य । विच्छुवदुक्कयवावी केसरिगयसीस आयारा ॥ ४६६ मुरयं पतंतपक्खी सेणा गयपुव्वअवरगत्ता य । णावा हयसिरसरिसा गं चुल्ली कित्तियादीणं ॥ ४६७
अभिजित् आदि नौ, स्वाति, पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी ये बारह नक्षत्र चन्द्रके प्रथम मार्गमें संचार करते हैं ॥ ४६०॥
चन्द्रके तृतीय पथमें पुनर्वसु और मघा, सातवेंमें रोहिणी और चित्रा, छठे कृत्तिका तथा आठवेंमें विशाखा नक्षत्र संचार करता है ॥ ४६१ ॥
दशमें अनुराधा, ग्यारहवेंमें ज्येष्ठा तथा पन्द्रहवें मार्गमें हस्त, मूलादिक तीन ( मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढ़ा), मृगशीर्षा, आर्द्रा, पुष्य और आश्लेषा, ये आठ नक्षत्र संचार करते हैं ॥ ४६२ ॥
छह, पांच, तीन, एक, छह, तीन, छह, चार, दो, दो, पांच, एक, एक, चार, छह, तीन, नौ, चार, चार, तीन, तीन, पांच, एक सौ ग्यारह, दो, दो, बत्तीस, पांच और तीन, यह क्रमसे उन कृत्तिकादिक नक्षत्रोंके ताराओंकी संख्या निर्दिष्ट की गई है ॥ ४६३-४६४ ॥
६, ५, ३, १, ६, ३, ६, ४, २, २, ५, १, १, ४, ६, ३, ९, ४, ४, ३, ३, ५, १११, २, २, ३२, ५, ३।
बीजना,', गाड़ीकी उद्धिका', हिरणका शिर', दीप, तोरण', आतपवारण (छत्र), वल्मीक, ( चीटी आदिसे किया गया मिट्टीका पुंजविशेष ), गोमूत्र, सरयुग', हस्त, उत्पल', दीप, अधिकरण', हार", वीणा", सींग', विच्छु", दुष्कृतवापी, सिंहका शिर', हाथीका शिर", मुरज", पतत्पक्षी", सेना, हाथीका पूर्व शरीर", हाथीका अपर शरीर, नौका, घोड़ेका शिर और चूल्हा", इनके समान क्रमसे उन कृत्तिकादिक नक्षत्रोंके ताराओंका आकार है ॥ ४६५-४६७ ॥
१द ब पहुदीणं. २द ब हयं ससीसापासाणं. TP. 93
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