Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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६४६ ]
तिलोयपण्णत्ती
[ ६.३६
पुरुसा पुरुत्तमसपुरुसमह । पुरुष पुरुषपभणामा । अतिपुरुषा तह मरुभो' मरुदेवमरुत्पहा जसेविता ॥ ३६ इय किंपुरुपानंदा' सप्पुरुसो ताण तह महापुरिसो । रोहणिणवमी हिरिया पुष्पवदीओ वि देवीओ ॥ ३७ । किंपुरुसा गढ़ा ।
भुजगा भुजंगसाठी महत्तणुभतिकायखंधसाली य । महभसणिजमहसर गंभीरं पियदसणा महोरगया' ॥ ३८ महकाओ अतिकामी इंदा एदाण होंति देवीओ । भोगा भोगवदीओ भणिदिदा पुष्कगंधीमो ॥ ३९ | महोरगा गदा ।
हूणारतुंबरवासवकदंब महसरया । गीवरदीगीदरसा वहरवतो होंति गंधवा || ४० गीदरदी गीदरसा इंदा ताणं पि होति देवीओो । सरसइसरसेणाभो दिणिपियदसणाओ देवीमो || ४१ | गंधच्या गदा ।
पुरुष, पुरुषोत्तम, सत्पुरुष, महापुरुष, पुरुषप्रभ, अतिपुरुष, मरु, मरुदेव, मरुप्रभ और यशस्वान्, इस प्रकार ये किम्पुरुष जातिके देवोंके दश भेद हैं । इनके सत्पुरुष और महापुरुष नामक दो इन्द्र तथा इन इन्द्रोंके रोहिणी, नवमी, ही व पुष्पवती नामक देवियां होती हैं ॥ ३६-३७ ॥
किम्पुरुषों का कथन समाप्त हुआ ।
भुजग, भुजंगशाली, महातनु, अतिकाय, स्कन्धशाली, मनोहर, अशनिजव, महेश्वर, गम्भीर और प्रियदर्शन, ये दश महोरग जातिके देवोंके भेद हैं । इनके महाकाय और अतिकाय नामक इन्द्र व इन इन्द्रोंके भोगा, भोगवती, अनिन्दिता और पुष्पगन्धी नामक चार देवियां होती हैं ।। ३८-३९ ॥
महोरग जातिके देवोंका कथन समाप्त हुआ ।
हाहा, हूहू, नारद, तुम्बर, वासव, कदम्ब, महास्वर, गीतरति, गीतरस और वज्रवान्, ये दश के भेद हैं । इनके गीतरति और गीतरस नामक इन्द्र और इन इन्द्रोंके सरस्वती, स्वरसेना, नन्दिनी और प्रियदर्शना नामक देवियां हैं ॥ ४०-४१ ॥
गन्धर्व जातिके देवोंका कथन समाप्त हुआ ।
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१ ६ ब अमरा, २ व् व किंपुरुसाईद. ३ [ मणहर अस णिजमहसरगंभीरप्पियदरिसणा य। 1.
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