Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-५. २६९]
पंचमो महाधियारो
[५८३
ताणं खेत्तफलं रज्जूवे कदी तिगुणिय सोलसेहि भजिदमेतं, पुणो णवसय-सत्तत्तीसकोडि-पण्णासलक्खजोयणेहिं भटभहियं होइ । पुणो एकलक्ख-बारससहस्स-पंचसयजोयणेहिं गुणिदरज्जूए हीणं हाह । तस्स ठवणा
= । ३. धण जोयणाणि ९३७५००००००रिण रज्जूओ १९२५०० । इट्टादो देट्रिमदीवोवहीणं पिंडफलमाणयणटुं गाहासुतंइच्छियदीउवहीए विक्खभायामयाम्म अवणिज । इगिणवलक्खं सेसं तिहिदं इच्छादु देहिमाणफलं ॥२६॥ ५
सादिरेयस्त भाणयणटुं गाहासुतंइच्छियवासं दुगुणं दोलखूणं तिलक्खसंगुणियं । जंबूदीवफलूणं सेसं तिगुणं हुवेदि भदिरेग । २६९ ॥
चोइसमपक्खे अप्पाबहुगं वत्तइस्सामो-लवणसमुदस्स विक्खंभं वेण्णिलक्खं २०००००, आयाम णवलक्ख ९०००००। कालोदगसमुद्दविक्खंभं अटलक्खं ८०००००, आयाम तेसट्टिलक्खं ६३०००००। पोक्खरवरसमुदस्स विक्खंभं बत्तीसलक्खं ३२०००००, मायाम एऊणसीदिलक्खेणब्भहियबेकोडीओ होइ १०
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हैं उन सबका क्षेत्रफल राजुके वर्गको तिगुणा करके सोलहका भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतना और नौ सौ सैंतीस करोड़ पचास लाख योजन आधिक व एक लाख बारह हजार पांच सौ योजनोंसे गुणित राजुसे हीन है । उसकी स्थापना इस प्रकार है
रा.२४३:१६+ यो. ९३७५०००००० – ( राजु x ११२५०० यो.)।
इच्छित द्वीप या समुदसे अधस्तन द्वीप-समुद्रोंके पिण्डफलको लानेके लिये यह गाथासूत्र है
इच्छित द्वीप या समुद्र के विष्कम्भ व आयाममेंसे क्रमशः एक लाख और नौ लाख कम करे । पुनः शेष (के गुणनफलमें) तीनका भाग देनेपर इच्छित द्वीप या समुद्रके ( जम्बूद्वीपको छोड़कर ) अधस्तन द्वीप-समुद्रोंका पिण्डफल प्राप्त होता है ॥ २६८ ॥ .
उदाहरण- कालोदकसमुद्रका विष्कंभ ८ लाख यो.; आयाम ६३ लाख यो.; अतएव धातकीखंड और लवणसमुद्रका पिंडफल हुआ- ८ - १ = ७ लाख; ६३ -९ = ५४ लाख । ७ ला. ४ ५४ ला. ३ = १२६००००००००००।
सातिरेकप्रमाणको लानेके लिये गाथासूत्र
इच्छित द्वीप या समुद्रके दुगुणे विस्तार से दो लाख कम करके शेषको तीन लाखसे गुणा करनेपर जो राशि उत्पन्न हो उसमेंसे जम्बूद्वीपके क्षेत्रफलको कम करके शेषको तिगुणा करनेपर अतिरेकप्रमाण आता है ॥ २६९ ॥ (?)
चौदहवें पक्षमें अल्प-बहुत्वको कहते हैं- लवणसमुद्रका विस्तार दो लाख २००००० और आयाम नौ लाख ९००००० योजन है । कालोदकसमुद्रका विस्तार आठ लाख ८००००० और आयाम तिरेसठ लाख ६३००००० योजन है । पुष्करवरसमुद्रका विस्तार बत्तीस लाख ३२००००० और आयाम दो करोड़ उन्यासी लाख २७९००००० योजन है । इस प्रकार
१ब बारसहस्स.
२द ब ठवणा-४९। १६.
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