Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-५. २८०] पंचमो महाधियारो
[६०३ सगसगबादररासीदो सोधिदे सगसगबादरअपजत्तरासी होदि । पुढ = a १० रिण = |९। भाडे
|| 9F
=
१०१.रिण =| तेउ = a रिण | वाउ = a १० १० १० रिण = | पुणो पुढविकायादीणं
सुहमरासिपत्तेयं तप्पाउग्गस्स संखेजस्वेहिं खंडिदे बहुभागा सुहुमपजत्तजीवरासिपमाण होदि । पुढवि = a१०८४|आउ = a६० १० ८ ४ | तेउ = a ८ ४ | वाउ = a १० १० १०८
तत्थेगभागं सगसगसहमपजत्तरासिपरिमाणं होदि । पुढवि = a १०८] आऊ , a१०१०८।
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तेउ = a 61वाउ = a १० १० १०८| पुणो सब्वजीवरासीदो सवरासितसकाइय-पुढविकाइय
आउकाइय-तेउकाइय-वाउकाइयजीवरासिपमाणमणिदे अवसेस सामण्णवगफदिकाइयजीवरासिपरिमाण
शेष अपनी अपनी बादर अपर्याप्त राशिका प्रमाण होता है ( संदृष्टि मूलमें देखिये ) । पुनः पृथिवीकायिकादि जीवोंकी प्रत्येक सूक्ष्म राशिको अपने योग्य संख्यात रूपोंसे खण्डित करनेपर बहुभागरूप सूक्ष्म पर्याप्त जीवराशिका प्रमाण होता है और इसमें से एक भागरूप अपनी अपनी सूक्ष्म अपर्याप्त जीवराशिका प्रमाण होता है ( संदृष्टियां मूलमें देखिये)। पुनः सब जीवराशिमेंसे सम्पूर्ण त्रसकायिक, पृथिवीकायिक, जलकायिक, तेजस्कायिक और वायुकायिक जीवोंके राशिप्रमाणको घटा देनेपर शेष सामान्य वनस्पतिकायिक जीवराशिका प्रमाण होता है।
उदाहरण- सामान्य वनस्पतिकायिक जीवराशि = सर्व जीवराशि- (सर्व त्रसराशि + सर्व तेजस्काय राशि + सर्व पृथ्वीकाय राशि + सर्व जलकाय राशि + सर्व वायुकाय राशि ).
पृथिवी
तेज
+
8
अल
= सर्व जीवाशि - [ { - ( . . :)} + (= • ) + (":) + (= १.६) + (= . १.१.१.)]
= ( स. जी. रा. ) - [( २) + ( = * ०५२३)
-
५
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