Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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-५. २७६) पंचमो महाधियारो
[५९५ उणवीसदिमपक्खे अप्पाबहुगं वत्तइस्सामो। तं जहा- लवणसमुहस्सायाम णवलक्खं, तम्मि भट्ठारसलक्खं संमेलिदे धादईसंडस्स दीवस्स आयामं होदि । धादईसंडदीवस्स आयामम्मि पक्खेवभूदभट्टारसलक्खं दुगुणिय मेलिदे कालोदगसमुदस्स आयाम होइ । एवं पक्खेवभूदअट्ठारसलक्खं दुगुणदुगुणं होऊण गच्छइ जाव सयंभूरमणसमुद्दो त्ति । तत्तो अंतिमवियप्पं वत्तइस्सामो- तत्थ सयंभूरमणदीवस्स मायामादो सयंभूरमणसमुदस्स आयामबड्डी णवरज्जूणं अट्ठमभागं पुणो तिष्णिलक्ख-सत्ततीससहस्स-पंच- ५ सयजोयणेहिं भन्भहियं होइ । तस्स ठवणाधण जोयणाणि ३३७५०० । लवणसमुद्दादिइच्छियदीव रयणायराणं आयामवडिपमाणाणयणहेतुं इमं गाहासुत्तं
स्वयंभरमणद्वीपकी आदिसूची . रा. - २२५००० यो.
प्रक्षेप .रा. + ७५००० यो. स्वयंभरमणसमुद्रकी आदिसूची ३ रा. - १५०००० यो. स्वयंभूरमणद्वीपकी मध्यसूची : रा. - १८७५०० यो.
__ प्रक्षेप ३ रा. + ११२५०० यो. स्वयंभूरमणसमुद्रकी मध्यसूची ३ रा. - ७५००० यो. स्वयंभरमणद्वीपकी अंतसूची ३ रा. - १५०००० यो.
प्रक्षेप ३ रा. + १५०००० यो. स्वयंभूरमणसमुद्रकी अंतसूची १ राजु. उन्नीसवें पक्षमें अल्पबहुत्वको कहते हैं - लवणसमुद्रका आयाम नौ लाख है। इसमें अठारह लाख मिलानेपर धातकीखण्डका आयाम होता है । धातकीखण्डद्वीपके आयाममें प्रक्षेपभूत अठारह लाखको दुगुणा करके मिलानेपर कालोदकसमुद्रका आयाम होता है। इस प्रकार स्वयंभूरमणसमुद्र पर्यन्त प्रक्षेपभूत अठारह लाख दुगुणे दुगुणे होते गये हैं । यहां अन्तिम विकल्पको कहते हैं - स्वयंभूरमणद्वीपके आयामसे स्वयंभूरमणसमुद्रके आयाममें नौ राजुओंके आठवें भाग तथा तीन लाख सैंतीस हजार पांचसौ योजन अधिक वृद्धि होती है । उसकी स्थापना- रा. + यो. ३३७५०० ।
लवणसमुद्रको आदि लेकर इच्छित द्वीप-समुद्रोंकी आयामवृद्धि के प्रमाणको लानेके लिये यह गाथासूत्र है
१द ब होति.
२६ ब दीवे.
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