Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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पंचमो महाधियारो
[५४३
कुंकुमकप्पूरेहिं चंदणकालागरूहि अण्णेहिं । ताणं विलेवाइं ते कुम्वंते सुगंधेहिं ॥ १०५ कुंदेंदुसुदरेहिं कोमलविमलेहिं सुरभिगंधेहिं । वरकलमैतंडुलेहिं पूजंति जिणिंदपडिमाओ' ॥ १०६ सयवंतगा य चंपयमाला पुण्णायणायपहदीहिं । अञ्चति ताओ देवा सुरहीहिं कुसुममालाहिं।.. बहुविहरसवंतेहिं वरभक्खेहि विचित्तरूवेहिं । अमयसरिच्छेहिं सुरा जिगिंदपडिमाओ महयति ॥ १०८ विप्फुरिदकिरणमंडलमंडिदभवणेहिं' रयणदीवहिं। णिक्वजलकलुसेहिं पूजति जिणिंदपडिमाओ ॥ १०९ वासिददियंतरेहिं कालागरुपमुह विविधूवेहिं । परिमलिदमंदिरेहिं महयंति जिणिंदबिंबाणिं ॥ ११० दक्खादाडिमकदलीणारंगयमाहुलिंगचूदेहिं । अण्णेहिं विपक्केहिं फलेहिं पूर्जति जिणणाहं ॥११॥ णचंतचमरकिंकिणविविहविताणादियाहिं वित्ताहिं ओलंबिदहारेहिं अञ्चति जिणसेरं देवा ॥ ११२ महलमुयंगभेरीपडहप्पहृदीणि विविवज्जाणि । वायंति जिणवराणं देवा पूजासु' भत्तीए॥ ११३
वे इन्द्र कुंकुम, कर्पूर, चन्दन, कालागर और अन्य सुगन्धित द्रव्योंसे उन प्रतिमाओंका विलेपन करते हैं ॥ १०५॥
ये कुन्दपुष्प व चन्द्रमाके समान सुन्दर, कोमल, निर्मल और सुगन्धित उत्तम कलम धान्यके तंदुलोंसे जिनेन्द्रप्रतिमाओंकी पूजा करते हैं ॥ १०६ ॥
__ वे देव सेवंती, चम्पकमाला, पुनाग और नाग प्रभृति सुगन्धित पुष्पमालाओंसे उन प्रतिमाओंकी पूजा करते हैं ॥ १०७ ॥
ये देवगण बहुत प्रकारके रसोंसे संयुक्त, विचित्र रूपवाले और अमृतके सदृश उत्तम भोज्य पदार्थोसे (नैवेद्यसे ) जिनेन्द्रप्रतिमाओंकी पूजा करते हैं ॥ १०८॥
देदीप्यमान किरणसमूहसे जिनभवनोंको विभूषित करनेवाले और कज्जल एवं कलुषतासे रहित ऐसे रत्न-दीपकोंसे इन प्रतिमाओंकी पूजा करते हैं ॥ १०९ ॥
देवगण मंदिर एवं दिङ्मण्डलको सुगन्धित करनेवाले कालागरु प्रभृति अनेक प्रकारके धूपोंसे जिनेन्द्रबिम्बोंकी पूजा करते हैं ॥ ११०॥
दाख, अनार, केला, नारंगी, मातुलिंग, आम तथा अन्य भी पके हुए फलोंसे वे जिननाथकी पूजा करते हैं ॥ १११॥
वे देव विस्तीर्ण एवं लटकते हुए हारोंसे संयुक्त तथा नाचते हुए चवर व किंकिणियोंसे सहित अनेक प्रकारके चॅदोबा आदिसे जिनेश्वरकी पूजा करते हैं ॥ ११२ ॥
देवगण पूजाके समय भक्तिसे मर्दल, मृदंग, भेरी और पटहादि विविध प्रकारके बाजे बजाते हैं ॥ ११३ ॥
१ द ब विलेइणाइं. २द व कमलतंडुलेहि. ३ द पडिमाए. ४ द ब सवणेहि. ५ब भूदेहिं. ६ द ब वित्थाहि. ७ ब मुयिंग. ८ द ब पूजास.
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