Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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२०
शुद्धि-पत्र
देवी १६००००, अप्रदेवी ८ ।
सहिबा जीवा
जीव
उपन्ती
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वरुण
उप्पत्ती
[अरुमा]
अरुण
[ अण्मेण परूवेंति ] भाईसा
[ भज्जा ]
शलाकापुरुष न होकर नियमसे शलाकापुरुष रूपसे भाज्य विकल्पनीय हैं । किन्तु वे नियमसे
जावई गंद
[ जावद दव्वं ]
जितना मार्ग जाने योग्य है उतना जहां तक धर्म द्रव्य है वहाँ तक
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सरूवं वेति
भाईसा
वज्जा
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(१०७ ) अप्रदेवी ८, परिवारदेवी १६०००; १६०००×८ = १२८०००; वल्लभा ३२०००; १२८००० + ३२००० = १६००००। सहियाजीवा
आजीवक साधु
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२४ लवण समुद्रके जलकी हानि
बुद्धि
४-२४४४
४- २४९१
२५ अन्तरद्वीप
१६ पाण्डुकशिला की उंचाई आदि
४-१८२१
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