Book Title: Tiloy Pannati Part 2
Author(s): Vrushabhacharya, A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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गाथा
गाथा
१५८.
विषयानुक्रमणिका
(१.१
विषय प्रकीर्णक विमानोंकी संख्या १६८ मतान्तरसे मुकुटचिहोंका निर्देश १५. मतान्तरसे सोलह कल्पोंमें विमानसंख्या १७८ अहमिन्द्रोंकी विशेषता
१५२ संख्यात व असंख्यात योजन विस्तारवाले आयुप्रमाण विमानोंकी संख्या
इन्द्रादिकोंका विरह
५४२ विमानतलोंका बाहल्य
१९८ देवोंका आहारकाल विमानोंका वर्ण
२०३ आयुबन्धक परिणाम विमानोंका आधार
२०६ उत्पत्ति समयमें देवोंकी विशेषता विमानोंके ऊपर स्थित प्रासादोंका वर्णन २०८ उत्पत्तिके अनन्तर जिनपूजाप्रक्रम इन्द्रोंके दशविध परिवारका वर्णन २१४ देवोंका सुखोपभोग इन्द्र व प्रतीन्द्र आदिकी देवियों का प्रमाण ३०५ तमस्कायकी प्ररूपणा देवियोंका उत्पत्तिस्थान
३३१ लौकान्तिक देवोंकी स्थिति व संख्या ६१४ सौधर्म आदि कल्पों में प्रवीचारका नियम ३३६ लोकविभागके अनुसार लौकान्तिकोंकी इन्द्रोंके निवासस्थानोंका निर्देश ३३८ स्थिति व संख्या इन्द्रोंके प्रासादोंका वर्णन ३५२ बीस प्ररूपणाओंका दिग्दर्शन इन्द्रोंकी देवियों की समस्त संख्या ३७९ सम्यक्त्वग्रहणके कारण लोकविनिश्चय प्रन्यके अनुसार इन्द्र.
वैमानिक देवोंकी आगति देवियोंकी संख्या
अवधिविषय संग्रहणीके अनुसार इन्द्रदेवियों की संख्या ३८७ | संख्या इन्द्रोंकी सेवाविधि
शक्तिदिग्दर्शन
६९७ इन्द्रप्रासादोंके आगे स्थित स्तम्भोंका वर्णन ३९८ | योनिप्ररूपणा इन्द्रप्रासादोंके आगे स्थित न्यग्रोध वृक्षोंका वर्णन
महाधिकार ९
४०५ सुधर्मा सभा
१०७
| आच मंगल उपपाद सभा
| पांच अन्तराधिकारों का निर्देश जिनेन्द्रप्रासाद
१११ | सिद्धोंका निवासक्षेत्र इन्द्रदेवियों के भवन
४१३ संख्या द्वितीयादि वेदियोंका वर्णन ४२१ उपवनप्ररूपणा सौधर्मेन्द्रादिके यानविमानोंका निर्देश ४३८ सिद्धत्वके कारण इन्द्रोंके मुकुटचिह
११८ | अन्तिम मंगल .
३८८
७०.
११०
अवगाहना
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