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सागंणा
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नाना जीवापेक्षया
प्रमाण अपेक्षा
एक जीवापेक्षया प्रमाण ।
प्रमाण
गुण प्रमाण स्थान १३
मार्गणा
अपेक्षा
जघन्य
माए। जवन्य | अपेक्षा
उत्कृष्ट
अपेक्षा
जघरमा
सू।
चक्षुदर्शन
मूलोघवत
मूलोधवत्
२८५
२८३
निरन्तर
अतमुहूत
गुणस्थान परिवर्तन
२८८ २८८
२००० सा.-१२ उपरोक्त जीव भवनत्रिकमें जा उप. सम्य. ___ अंतर्मु. पूर्वक मिश्र हो गिरे। स्वस्थिति प्रमाण
भ्रमण । अंतिम भव के अंत में पुनः मिश्रा २०००सा.-१०अंतम. उपरोक्त मिश्रवत , -४८ दिन अचक्षुदर्शनी गर्भज संज्ञीमें उपज उप. -१२ अंतर्मु. सम्य. पूर्वक वा धार गिरा । स्वस्थिति
प्रमाण भ्रमण । अन्तिम भवके अन्त में
वेदक सहित संयमासंयम। 11-८ वर्ष-१०अंतर्मु. " (परन्तु प्रथम व अन्तिम भवमें मनुष्य)| | , क्रमशः २६, , २७,२५,२३, अंतर्मु,
मूलोधवत
-
२८
२८८
६-७२८६ |८-११ २८६
उपशमक
मूलोधवत् २८६/
२६२
मूलोधवत
क्षपक
८-१२२९२) अचक्षुदर्शन १-१२ २६३ अवधिदर्शन ४-१२२६४ केवलदर्शन
१३-१४ २६५ १० लेश्यामार्गणाः
२६४
अवधिज्ञानवव २६४ केवलज्ञानवन् २६॥
अवधिज्ञानबत् केवलज्ञानवत
अवधिज्ञानवत केवलज्ञानवत
२६५
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कृष्ण
निरन्तर
नील में जा पुनः कृष्ण
कापोत हो पुनः नील तेज हो पुनः कापोत
कापोत
१२७३३सा.+१पू.को.
मा +१ प.को.८ वर्ष में ६ अंतर्मु. शेष रहनेपर कृष्ण हो |-८ वर्ष + १०अंतर्मू | अन्य पाँचों लेश्याओं में भ्रमणकर, संयम
सहित १ पू. को. रह देव हुआ। वहाँसे
आ पुनः कृष्ण ।१२७/"+"-"+अंतमू, ११२७"+"-"+ ६अंतर्मु.
१३० असं. पु. परि. गो. सा. आ/असं. पु. परि. सं. सहस्रवर्ष + ६ अंतर्मु.
१३० असं. पु. परि. गो. सा. आ/असं. पु. परि+सं.सहस्रवर्ष + पत्य/असं +२सा.+५अंत.
१३० असं. पु. परि, गो. सा. पद्मवत् परन्तु अंतर्मु. की जगह ७ अंतर्म. २६८ | ३३ सा.-६ अंतर्मु. ७वीं पृ.में उपज सम्य.। भवान्तमें मिथ्या. , -५ अंतर्मु..., ( परन्तु सभ्य, से मिथ्या. कराकर
भवके अन्त में सम्य कराना) ,, -६ अंतर्मु. . . . २६८ | , -८ अंतर्मू. ७वा पृ. में उपज सम्य. धार मिथ्या.
हुआ। भवके अन्तमें पुनः सम्यः ।
शुक्ल
४६]
कृष्ण
२६
निरन्तर मूलोघवत्
२६६ २६
गुणस्थान परिवर्तन
मूलोधवत
... २६७ पन्य/असं ३००
-
१ समय
पत्य/असं.
।
| अंतर्मुहूर्त
निरन्तर
गुणस्थान परिवर्तन
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