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मार्गणा
एक जीवापेक्षया
प्रमाण
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प्रमाण
नाना जीवापेक्षया
| प्रमाण अपेक्षा
प्रमाण
गुण स्थान
मागणा
जघन्य
नानाजीवापक्षमा प्रमाण । उत्कृष्ट
जघन्य
अपेक्षा
जघन्य | अपेक्षामा
उत्कृष्ट
अपेक्षा
सास
यथारख्यात उप.
निरन्तर
४०
अंतर्मुहूर्त
क्षप. संयतासंयस
अंतर्मुहूर्त
: :: : । ।
सूक्ष्मसाम्पराय हो पुनः ११३/ अर्ध. पु. परि.- मिथ्यादृष्टियों में भ्रमण यथा,
अंतर्मुहूर्त पतनका अभाव
पतनका अभाव असंयत हो पुनः
कुछ कम मिथ्यावृष्टियों में भ्रमण संयतासंयत
अर्ध. पु. परि. संयतासंयत हो पुनः | ११७/१पू. को. अंतर्मु. | संयतासंयत हो देवगतिमें उत्पत्ति
असंयत मनापर्ययज्ञानीवत् २५८
| मनःपर्ययज्ञानीवत्
असंयत
सामान्य व उप.
८-१३
२१६
मनःपर्यय-ज्ञानोवत् मूलोधवत निरन्तर मूलोधवत
क्षप. सामायिक छेदो.
उपशमक
२५६
२६१
८-६ २६४
समय
२६
૨૯૮
मूलोधवत निरन्तर मूलोधवत
अंता
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क्षपक
८-६२६८ । परिहार विशुद्धि सूक्ष्मसाम्पराय उप.
। १० २७२ ___- क्षप. | १० २७५ यथाख्यात उप. क्षप. [११-१४,२७६ संसतासंयत असंयत
मूलोधवत् तर्मुहूर्त | परस्पर गुणस्थान परि. २६३
श्रेणीसे उतरकर पुनः २६७
चढ़नेवाले
मूलोधवत् २६८ परस्पर गुणस्थान परि. २७१ । अन्य गुण, सम्भव नहीं |२७४
मूलोधवत्
अकषायबत् २७६ अन्य गुण. सम्भव नहीं २७७ १ले व ४थेमें गुण. परि. २८०
मूलोघवत अंतर्मुहुर्त परस्पर गुणस्थान परिवर्तन
पू. को.-८ वर्ष | श्रेणी चढ़ फिर प्रमत्त अप्रमत्त हो भवके |-११अतर्मु वहअतर्मु. अन्तमें पुनः श्रेणी चढ़ मरे देव हो
मूलोघवत् अंतर्मुहूर्त | परस्पर गुणस्थान परिवर्तन
अन्य गुणस्थानमें सम्भव नहीं मूलोघवव अकषायवद
अन्य गुणस्थान सम्भव नहीं ३३ सा.-६ अंतर्मु. ७वीं पृ.को प्राप्त मिथ्यात्वो सम्यक्त्व धार
भवके अन्तमें पुनः मिथ्यात्व ४ये में ११ की शेष मूलोघवत् बजाये १५ अंतर्मु.
।
२७६
अकषायवत निरन्तर
२७७/
। ।
मूलोधवत्
२८॥
मूलोधवत्
२८१
-
९ दर्शन मार्गणा:-1 चक्षुदर्शन सा. अचक्षुदर्शन सा.
निरन्तर
क्षुद्रभव
१२० असं. पु. परि.
::
१२२/
अविवक्षित पर्यायोंमें भ्रमण संसारो जोवको सदा रहता है।
:: :
संसारी जीवको सदा ।
रहता है अवधिज्ञानवत
अवधिदर्शन
:
अंतर्मुहूर्त
।
१२४
केवलदर्शन चक्षुदर्शन
।।:
केवलज्ञानबत् मूलोधवत
मूलोघवत्
२८२/
२८२||
कुछ कम अवधि ज्ञानवत अर्ध. पु. परि.
केवलज्ञानबत्
मूलोधवत् २००० सा:-/ अचक्षुसे असंज्ञी पंचे. सासादन हो गिरा। असं.-१अंतम. चक्षु दर्शनियों में भ्रमण । अंतिम भवमें
पुनः सासादन
|२८३/
।।
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