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बोले, उत्सूत्र बोले, आगम विरुद्ध आचरण करे-इत्यादि असत्य बोले तो सबके सबको जायजीवतक सात प्रकार से कोइभी पढ़ी देना नहीं कल्पै. अर्थात् सबके सब पीके अयोग्य है. इति.
श्री व्यवहारसूत्र-तीसरा उद्देशाका संक्षिप्त सार.
(४) चौथा उद्देशा. (१) आचार्योपाध्यायजीको शीतोष्ण कालमें अकेले वि. हार करना नहीं कल्पै.
(२) आचार्योपाध्यायजीको शीतोष्ण कालमें आप सहित दो ठाणेसे विहार करना कल्पै. अधिक सामग्री न हो, तो उतने रहै, परन्तु कमसे कम दो ठाणे तो होनाही चाहिये.
(३) गणविच्छेदकको शीतोष्ण कालमें आप सहित दो ठाणे विहार करना नहीं कल्पै.
(४) आप सहित तीन ठाणेसे कल्पै. भावना पूर्ववत्.
(५) आचार्योपाध्यायको आप सहित दो ठाणे चातुमांस करना नहीं कल्पै.
(६) आप सहित तीन ठाणे चातुर्मास करना कल्पै. भाबना पूर्ववत्.
(७) गणविच्छेदकको आप सहित तीन ठाणे चातुर्मास करणा नहीं कल्पै.
(८) आप सहित च्यार ठाणे चातुर्मास रहना कल्पै.
भावार्थ-कमसे कम रहे तो यह कल्प है. आचार्योपाध्यायसे एक साधु गणविच्छेदकको अधिक रखना चाहिये. कारण