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उदयस्थान बन्धस्थनोकी उक्त विशेषाओं का ज्ञापक कोष्ठक -
[१] ..
बन्धस्था० मूल प्र०
स्वामी
स्वामी
काल
जघन्य
उत्कृष्ट
मिश्र बिना अप्रमत्त, अमहर्त
८ प्रकृ०
सब
अन्तर्मुहूर्त
तक
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1. प्रकृ० श्रायु विना प्रारम्म के गुण
अन्तर्मुहूर्त
एक अन्तर्मु० और छह माह कम तथा पूर्वकोटि का निभाग अधिक तेतीस सागर
मोह व
६ प्रकृ०
सूक्ष्म सम्पराय | एक समय
अन्तर्मुहूर्त
आयु बिना
१ प्रकृ० | वेदनीय
4
११वाँ, १२वाँ,व १३ वाँ गुण ।
| एक समय
देशोन पूर्वकोटि
उदयस्थान-आठ प्रकृतिक, सात प्रकृतिक और चार प्रकृतिक इस प्रकार मूल प्रकृतियोकी अपेक्षा उदयस्थान तीन होते हैं।
आठ प्रकृतिक उदयस्थानमें सव मूल प्रकृतियोका, सात प्रकृतिक उदयस्थानमे मोहनीय कर्मके बिना सातका और चार प्रकृतिक उदयस्थानमें चार अघाति कर्मोंका ग्रहण होता है। इससे यह भी निष्कर्ष