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वन्धस्थानत्रिकके संवैध भंग
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अर्थात् 'अग्निकायिक और वायुकायिक जीवोको छोड़कर अन्य पर्याप्तक जीव मनुष्यगतिका नियमसे वन्ध करते हैं।'
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इससे सिद्ध हुआ कि ७८ प्रकृतिक सत्त्वस्थान अग्निकायिक जीवो को और वैक्रियशरीरको नहीं करनेवाले वायुकायिक जीवांको छोडकर अन्यत्र नहीं प्राप्त होता । २६ प्रकृतिक उदयस्थानमे भी उक्त पाँचो सत्त्वस्थान होते हैं । किन्तु ७८ प्रकृतिक सत्त्वस्थान वैक्रियशरीरको नहीं करनेवाले वायुकायिक जीवोके तथा अग्निकायिक जीवोके होता है। तथा जिन पर्याप्त और अपर्याप्त दोइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चौइन्द्रिय और पचेन्द्रिय जीवोमे उक्त अग्निकायिक और वायुकायिक जीव उत्पन्न हुए हैं उनके भी जब तक मनुष्यगति और मनुष्यगत्यानुपूर्वीका बन्ध नहीं हुआ है तब तक ७८ प्रकृतिक सत्त्वस्थान होता है ।
२७ प्रकृतिक उदयस्थानमे ७८ प्रकृतिक सत्त्वस्थानके सिवा शेप चार सत्त्वस्थान होते हैं, क्योंकि २७ प्रकृतिक उदयस्थान अग्निकायिक और वायुकायिक जीवोको छोड़कर पर्याप्त वाटर एकेन्द्रिय और क्रियशरीरको करनेवाले तिर्यच और मनुष्योके होता है पर इनके मनुष्यद्विकका सत्त्व होनेसे ७८ प्रकृतिक सत्त्वस्थान नहीं पाया जाता है ।
शंका- अग्निकायिक और वायुकायिक जीवोके २७ प्रकृतिक उदयस्थान क्यो नहीं होता ?
समाधान -- एकेन्द्रियोंके २७ प्रकृतिक उदयस्थान आतप और उद्योत से किसी एक प्रकृतिके मिलाने पर होता है पर अग्निकायिक और वायुकायिक जीवोके आतप और उद्योतका उदय होता नहीं, अतः इनके २७ प्रकृतिक उदयस्थान नहीं होता यह कहा है।
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