Book Title: Saptatikaprakaran
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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२ अन्तर्भाष्य गाथा-सूची पज्जत्तगमन्नियरे अन चटक्क च वेयणियभंगा। मतग तिगं च गोए पत्तेयं जीवठाणेसु ॥ १ ॥ पज्जत्तापज्जत्ता समणे पज्जत्त अमण सेसेसु । अठावीसं दसग नवग पणग च आवस्स ॥२॥ च: छस्सु दोषिण सत्तसु एगे चड गुणिसु वेयणियमगा। गोप पण चट दो तिसु एगऽसु दोषिण एम्मि ॥ ३ ॥ अठच्छाहिगवीला सोलम वीस च वार छ दोसु । दो चउसु तीसु एक्क मिच्छाइसु आउगे भगा ॥ ४ ॥ वारसपणसमया उदयविगप्पेहि मोहिया जीवा । चुलसीईसत्तत्तरिपबिंदसएहि विनेया ॥५॥ अट्ठा चर चर चरगा य चतरो य होति चवीसा । मिच्छाइ अपुवत्ता वारस पणग च अनिय? ॥ ६ ॥ भटही बत्तीस बत्तीस सठिमेव पावन्ना । चोयाल चोयालं वीसा दि य मिच्छभाईसु ॥ ७॥ घउ पणत्रीमा मोलम नत्र चत्ताला मया य वाणग्या । बत्तीसुत्तरछायालसया मिच्छस्स बन्धविही ॥४॥ भट्ट य सय चोवहिं बत्तीस सपा य सासणे भेया। अट्ठावीसाईसु सन्वाणऽहिंग छण्णई ॥ ९ ॥ बत्तीस दोन्नि अह य बासीयसया य पंच नच उदया। घारहिगा तेवीसा बावन्नेक्कारस सया य॥ १०॥

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