Book Title: Saptatikaprakaran
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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३ अनुवाद तथा हिन्दी टिप्पण में उद्धत
अवतरणाका अकारादि अनुक्रम
उदघृत वाक्य
पृ.
उदरत वाक्य
पृष्ट
१.५
२४५
१३१
अच्छाहिगवीसा श्रदा एक्क एक्कक अब चव चर अट्ठी बत्तीप्त अट्ठय सयचोटिंठ अडचउरेक्कावीसं अणदसणपुसित्थी
श्रा श्रासाण वा वि गच्छेज्जा
पृ० ।
६४
| कयाइ होल इत्यि
| कपायवनान्त, २६६
गुणतीसे तीसे विय २७४ | गइथा पजत्ता
घर छस्सु दोणि चपदस य सहचउ पणवीसा सोलह चरवीसविहत्ती केव.
चतुर्विधबन्धकस्या२५१ चतुर्विधवन्धक
चरितुवसमण का १७३ / चत्तारि वीस सोलस
१११, ३४४
२२४
२४३
३७९
९२
उदयगवार णराणू उदयाणुवभोगेसुं उवसमसम्माइट्ठी स्वसंतिमओ न मिच्छो
११४
१२७
एक्कवीसाए विहत्ती एगट अ विगलिएगेदियदएसु एगवीला तिरिक्खेसु.
७२ | छब्बीसविहत्ती केव१२६ १४२ / लस्स तित्यगराहार११५/ जे वेयइ ते बघह
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