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सप्ततिकाप्रकरण यह जानना जरूरी है कि किस गुणस्थानमें कितने योगादिक होते हैं। परन्तु एक साथ इनका कथन करना अशक्य है अतः पहले योगकी अपेक्षा विचार करते हैं--मिथ्यात्व गुणस्थानमे १३ योग
और भांगोकी ८ चौवीसी होती हैं। सो इनमेंसे चार मनोयोग, चार वचनयोग, औदारिक काययोग, और वैक्रियकाययोग इन दस योगोमेसे प्रत्येक में भंगोकी आठो चौवीसी होती हैं, अतः १० से ८ को गुणित करने पर ८० चौबीसी हुई। किन्तु औदारिकमिश्रकाययोग वैक्रियमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोग इनमें अनन्तानुबन्धी की उदयवाली ही चार चौबीसी प्राप्त होती हैं, क्यो कि ऐसा नियम है कि अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी विसंयोजना करनेपर जीव मिथ्यात्व गुणस्थानमे जाता है उसका जव तक अनन्तानुबन्धीका उदय नहीं होता तब तक मरण नहीं होता, अतः यहां इन तीन योगो मे अनन्तानुवन्धीके उदयसे रहित चार चौबीसी सम्भव नहीं। विशेप खुलासा इस प्रकार है कि जिसने अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना की है ऐसा जीव जब मिथ्यात्वको प्राप्त होता है । तब उसके अनन्तानुबन्धी चतुष्कका बन्ध और अन्य सजातीय प्रकृतियोका अनन्तानुवन्धीरूपसे संक्रमण तोपहले समयसे ही होने लगता है किन्तु अनन्तानुबंधीका उदय एक आवलि कालके पश्चात् होता है। ऐसे जीवका अनन्तानन्धीका उदय होने पर ही मरण होता है पहले नहीं अतः उक्त तीनो योगोमे अनन्तानुबन्धीके उदयसे रहित ४ चौबीसी नहीं पाई जाती। इस प्रकार इन तीनो योगोमें भंगोकी कुल चौबीसी १२ हुई। इनको पूर्वोक्त ८.० चौबीसियों में मिला देने पर मिथ्यात्व गुणा- स्थानमे, भंगोकी कुल ६२ . चौबीसी प्राप्त होती हैं। जिनके कुल भांग २२०८ होते हैं। सास्वादनमें १३ योग और भंगोंकी ४ चौबीसी होती हैं। इसलिये फुल भंगोंकी ५२ चौबीसी होनी चाहिये