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गुणस्थानो में नामकर्मके सवेधभग ।
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इनके संवेधका विचार करते हैं - २८ प्रकृतियोका बन्ध करनेवालेके उदयस्थान दोनो होते हैं किन्तु सत्तास्थान एक प्रकृतिक ही होता है । २६ प्रकृतियोका बन्ध करनेवालेके उदयस्थान दोनो होते हैं किन्तु सत्तास्थान एक ८६ प्रकृतिक ही होता है । ३० प्रकृतियोका बन्ध करनेवालेके भी उदयस्थान दोनो होते हैं किन्तु सत्तास्थान दोनों के एक ६२ प्रकृतिक हो होता है । तथा ३ / प्रकृतियों का बन्ध करने वालेके उदयस्थान दोनो होते हैं किन्तु सत्तास्थान एक ९३ प्रकृतिक ही होता है । यहा तीर्थकर या आहारक द्विक इनमे से जिसके जिसकी सत्ता होती है वह नियमसे उसका बन्ध करता है इसलिये एक एक बन्धस्थानमें एक एक सत्तास्थान कहा है | यहाँ कुल सत्तास्थान ८ होते हैं । इस प्रकार अप्रमत्तसयत के बन्ध, उदय और सत्तास्थानोंके संवेधका विचार किया ।
अप्रमत्तसयतके बन्ध, उदय और सत्तास्थानांके सवेधका
ज्ञापक कोष्टक
[ ४४ ]
बन्धास्थान |
२८
२६
३०
३१
भग
१
१
?
उदयस्थान
२६
३०
२६
३०
२९
३०
२९
३०
-)
भग
६४५
R
६४५
१
१४६
२
१४६
सत्तास्थान
जा
τ
द
६२
६२
६३
૩