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गुणस्थानों में नामकर्मके संवेधभंग |
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की सत्ता होती है । इस प्रकार प्रमत्तसंयत के सब उदयस्थानोमे पृथक् पृथक् चार-चार सत्तास्थान प्राप्त होते है जिनका कुल प्रमाण २० होता है । इस प्रकार प्रमत्तसयतके बन्ध, उदय और सत्तास्थानोंके सवेधका विचार किया ।
प्रत्तसयतके बन्ध, उदय और सत्तास्थानोंके सवेधका ज्ञापक कोष्ठक
[ ४३ ]
बन्धस्थान भग
२८
२६
ម
tr
Η
हृदयस्थान
२७
ܪܢ
२६
३०
२६
२७
२८
३०
मग
R
२
४
१४६
२
11
४
४
१४६
4
सत्तास्थान
६२,८५
६२८८
६२,
६२, प
१२,
६३, ८६
६३, ८
६३,८६
६३, ८६
९३, ८९
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