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इन्द्रियमार्गणामें नामकर्मके संवेध भंग ३११ पाँच और आठ बन्धस्थान, पॉच, छह और ग्यारह उदयस्थान तथा पॉच पाँच और बारह सत्तास्थान होते हैं।
विशेपार्थ-किस इन्द्रियवालेके कितने कितने वन्ध, उदय और सत्तास्थान होते हैं इस वातका निर्देश इस गाथामे किया है। आगे इसका विशेष खुलासा करते हैं कुल वन्धस्थान आठ हैं उनमेसे एकेन्द्रियोके २३, २५, २६, २६ और ३१ ये पाँच वन्धस्थान होते हैं। विकलेन्द्रियोमेसे प्रत्येकके एकेन्द्रियोके कहे अनुसार ही पाँच-पाँच बन्धस्थान होते हैं। तथा पचेन्द्रियोके २३ आदि बाठो बन्धस्थान होते है। कुल उदयस्थान १२ हैं उनमेसे एकेन्द्रियोंके २१, २४, २५, २६ और २७ ये पाँच उदयस्थान होते है। विकलेन्द्रियोमेसे प्रत्येकके २१, २६, २८, २९, ३० और ३१ ये छह-छह उदयस्थान होते हैं। तथा पचेन्द्रियोके २०, २१, २५, २६, २७, २८, ०६. ३०, ३१. ६ और ८ ये ग्यारह उदयस्थान होते है। कुल सत्तास्थान वारह है जिनमेसे एकेन्द्रियोंके तथा विकलेन्द्रियोमेसे प्रत्येकके ६२, ८८, ८६, ८० और ७८ ये पाँच सत्तास्थान होते हैं। और पचेन्द्रियोके बारहो सत्तास्थान होते हैं। इस प्रकार किसके कितने और कौन कौन बन्ध, उदय, सत्तास्थान होते हैं इसका कथन किया।
अब इनके मदेधका विचार करते हैं-२३ प्रकृतियोका वन्ध करनेवाले एकेन्द्रियोके प्रारम्भके चार उदयस्थानोमेसे प्रत्येक उदयस्थानमे पॉच-पाँच सत्तास्थान होते हैं तथा २७ प्रकृतिक उदयस्थानमे ७८ को छोडकर चार सत्तास्थान होते है। इस प्रकार २३ प्रकृतिक बन्धस्थानमै २४ सत्तास्थान हुए। इसी प्रकार २५, २६, २६ और ३० इन वन्धस्थानोमे भी उदयस्थानोंकी अपेक्षा चौवीस चौबीम सत्तास्थान होते हैं। इस प्रकार एकेन्द्रियोके ये सब सत्तास्थान १२० होते हैं।