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लेश्याओं में भंगविचार
श्याओ की अपेक्षा पदवृन्द बतलाते हैं
मिथ्यात्व के ६८ सास्वादनके ३२ मिश्रके ३२ और अविरत सम्यग्दृष्टिके ६० पढीका जोड़ १६२ हुआ । सो इन्हें यहाँ सम्भव ६ लेश्याओ से गुणित कर देने पर ११५२ होते हैं । देशविरतके ५२ प्रमत्तके ४४ और अप्रमत्तके ४४ पढोका जोड १४० हुआ । सो इन्हें यहाँ सम्भव ३ लेश्याओ से गुणित कर देने पर ४२० होते हैं । तथा अपूर्वकरणमे पद २० हैं । किन्तु यहाँ एक ही लेश्या है अत इनका प्रमाण २० ही हुआ । इन सबका जोड १५६२ हुआ । अव इन्हें भंगो की अपेक्षा २४ से गुणित कर देने पर आठ गुणस्थानोके कुल पदवृन्द ३८२०८ होते हैं । तदनन्तर इनमे दो प्रकृतिक और एक प्रकृतिक पदवृन्द मिला देने पर कुल पदवृन्द ३८२३७ होते हैं । कहा भी है
ति गहीरणा तेवन्ना सया य उदयारण होति लेसाग । अडतीस सहस्साइ पयारण सय दो य सगतीसा ॥'
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अर्थात् - 'मोहनीयके उदयस्थान और पदवृन्दोको लेश्याओसे गुणित करने पर उनका कुल प्रमाण क्रमसे ५२६७ और' ३८२३७ होता है।
(१) पञ्चस ० सप्त० गा० ११७ ।
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