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मोहनीयकर्मके बन्धस्थान वन्धका कारणभूत वादर कपाय नहीं पाया जाता है। इस प्रकार मोहनीय कर्मकी उत्तर प्रकृतियोंके कुल वन्धस्थान दस है, यह सिद्ध हुआ। मोहनीय कर्मके वन्धरथानो की उक्त विशेषताओ का
ज्ञापक कोष्ठक[१५]
काल वन्धस्थान गुणस्थान | भग
जघन्य २२ प्र० १ला } ६ । अन्तर्मुः । देशोन अपा०
उत्कृष्ट
-
-
२१३०
२रा
। ४ । एक समय
छह श्रावलि
१७प्र०
३रा, ४था
| अन्तर्मुहू. साधिक तेतीस सागर
१३ प्र०
५वा
"
देशोन पूर्वकोटि
प्र.
६ठा, ज्वा, ८वा । २ ।
९वां, प्रथम भा०
। एक समय
अन्तर्मुः
४ प्र०
, दूसरा , १ ३ प्र० , तीसरा ,
, चौथा , | प्र० , पांचवां , 17
२ प्र०
,
१ प्र.