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सप्ततिकाप्रकरण जिनका जोड़ ३३ होता है, अतः इस उदयस्थानके कुल ३३ भंग कहे । २८ प्रकृतिक उदयन्थानके विकलेन्द्रियोंकी अपेक्षा ६, प्राकृत तिथंच पंचेन्द्रियोंकी अपेक्षा ५७६, वैक्रिय तियंत्र पंचेन्द्रियोंकी अपना १६, प्राकृत मनुष्योंकी अपेक्षा ५७६, वैक्रिय मनुष्योंगी अपेक्षा ९, आहारकोंकी अपेक्षा २, देवोंकी अपेक्षा १६ और नारकियोंकी अपेक्षा १ भंग वतला आये हैं जिनका जोड़ १२०२ होता है, अत. इस उदयन्थानके कुल्ल भंग १२०२ कहे। २९ प्रकृ. तिक उदयस्थानके विकलेन्द्रियोकी अपेक्षा १२, तियेच पंचन्द्रियोंकी अपेक्षा ११५२, वैकिव नियंच पचेन्द्रियोंकी अपेक्षा १६, मनुष्योंकी अपेक्षा ५७६, वैक्रिय ननुप्योंकी अपेक्षा ९, आहारक सयतोकी अपेक्षा २, तीर्थकरकी अपेक्षा १, देवाँकी अपेक्षा १६ और नारक्यिोंकी अपेक्षा १ भंग बवला आये हैं जिनका जोड़ १७८५ होता है, अत. इस यस्थानके कुल भग १७८५ ऋहे । ३० प्रकृतिक उज्यस्थानके विकलेन्द्रियोंकी अपेक्षा १८.तियंत्र पंचेन्द्रियोकी अपेना १७ २८, वक्रिय तियंत्र पंचन्द्रियोकी अपेक्षा ८, मनुष्योंकी अपेक्षा ११५२, वैक्रिय मनुष्योंकी अपेक्षा १, थाहारक संयतोंकी अपेक्षा १, केवलियोंकी अपेक्षा १ और देवी की अपेक्षा ८ भंग बतला आये हैं जिनका जोड़ २९१७ होता है, अतः इस स्थानके कुत्त भंग २९१७ कहे। ३१ प्रकृतिक उदयस्थानके विकलेन्द्रियोंको अपेक्षा १२, वियंव पंचेन्द्रियों की अपेक्षा ११५२ और नीयंकरको अपेना १ भग बतला आये हैं जिनका जोड़ १९६५ होता है, अतः इस उदयस्थानके ११६५ भंग कहे । ९ प्रकृतिक उदयस्थानका तीर्थकरको अपेक्षा १ भंग बतला आये हैं, अतः इसका १ भग कहा । तथा ८ प्रकृतिक उदयस्थानका अतीर्थकरकी अपेक्षा १ भंग वतला आये हैं अतः इसका भी १ भंग कहा । इस प्रकार सत्र उदयत्वानोंके कुल भंग १४२११३३+६००