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वन्धस्यानोमें उदयस्थान उदयस्थानकी तीन चौवीस, नौ प्रकृतिक उदयस्थानकी तीन चौवीसी ये कुल भगोकी आठ वौचीसी प्राप्त हुई जो वाईस प्रकृतिक बन्धस्थानके समय होती हैं।
इक्कीस प्रकृतिक वन्धस्थानके रहते हुए सात प्रकृतिक उदयस्थान, आठ प्रकृतिक उदयस्थान और नौ प्रकृतिक उदयस्थान ये तीन उदयस्थान होते हैं। इनमेंसे सात प्रकृतिक उदयस्थानमें एक जातिकी चार कपाय, तीनो वेदोमे से कोई एक वेद और दो युगलो मसे कोई एक युगल इन मात प्रकृतियोका उदय नियमसे होता है। यहाँ भी पूर्वोक्त क्रमसे भगोंको एक चौवीसी प्राप्त होती है। इसमे भयके या जुगुप्साके मिला देने पर आठ प्रकृतिक उदयस्थान दो प्रकारसे प्राप्त होता है। यहाँ भी एक एक विकल्पमे भगोंको एक गगक चौवीसी प्रान होनेसे आठ प्रकृतिक उदयस्थानमे भगोकी दो चौवीसी प्राप्त होती हैं। तथा पूर्वोक्त सात प्रकृतियोके उदयमें भय
और जुगुप्सा के मिला देने पर नौ प्रकृतिक उदयस्थान होता है। यह एक ही प्रकारका है अत यहाँ भगोकी एक चौवीसी प्राप्त होती है। इस प्रकार सात प्रकृतिक उदयस्थानकी एक चौबीसी, आठ प्रकृतिक उदयस्थानकी दो चाँबीसी और नी प्रकृतिक उदयस्थानकी एक चौवीसी ये कुल भंगोकी चार चौबीसी प्राप्त हुई जो इक्कीस प्रकृतिक वन्धस्थानमें सम्भव हैं। . ___यह इकीस प्रकृतिक वन्धस्थान सास्वादनसम्यग्दृष्टि जीवके ही होता है, और सास्वादनसम्यग्दृष्टिके श्रेणिगत और अश्रेणिगत ऐसे दो भेद हैं । जो जीव उपशमश्रेणिसे गिरकर सास्वादन गुणस्थानको प्राप्त होता है वह श्रेणिगत सास्वादन सम्यग्दृष्टि कहलाता है । तथा जो उपशम सम्यग्दृष्टि जीव उपशमश्रेणि पर तो चढ़ा नहीं किन्तु अनन्तानुवन्धीके उदयसे सास्वादनभाव को प्राप्त हो गया वह अश्रेणिगत सास्वादनसम्यग्दृष्टि जीव कहलाता है। इनमे से अश्चे