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बन्धस्थानोमें उदयस्थानोके भग वन्धस्थानके समय जो छह प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भंगोकी कुल एक चौवीसी, तेरह प्रकृतिक और नौ प्रकृतिक वन्धस्थानमे जो छह प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भंगो की कुल तीन तीन चौवीसी इम प्रकार छह प्रकृतिक उदयस्थानके भंगोकी कुल मात चौबीसी हुई। पाँच प्रकृतिक उदयस्थानमे भगोकी कुल चार चौबीसी होती हैं। यथा-तेरह प्रकृतिक वन्धस्थानमे जो पाँच प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भगोंकी कुल एक चौवीमी और नौ प्रकृतिक बन्धस्थानमे जो पॉच प्रकृतिक उदयस्थान होता है उसके भगोकी कुल तीन चौवीसी इस प्रकार पॉच प्रकृतिक उदयस्थानमें भगोकी कुल चार चौवीसी प्राप्त हुई । तथा नौ प्रकृतिक बन्धके समय चार प्रकृतिक उदयके भगोकी एक चौवीमी होती है। इस प्रकार दससे लेकर चार पर्यन्त उदयस्थानोके भगोकी कुल १+६+ ११+१०+७+४+ १-४० चौवीमी होती है । तथा पाँच प्रकृतिक वन्धके समय दो प्रकृतिक उदयके भग वारह होते हैं और चार प्रकृतिक वन्धके समय भी दो प्रकृतिक उदय सम्भव है ऐसा कुछ आचार्यों का मत है अत इस प्रकार भी दो प्रकृतिक उदयस्थानके वारह भग प्राप्त हुए। इस प्रकार दो प्रकृतिक उदयस्थानके भगोकी एक चौवीसी होती है। तथा चार, तीन, दो और एक प्रकृतिक वन्धस्थानके और श्रवन्धके समय एक प्रकृतिक उदयस्थानके क्रमश चार, तीन, दो, एक और एक भग होते हैं जिनका जोड़ ग्यारह होता है, अत एक प्रकृतिक उदयस्थानके कुल भग ग्यारह होते है। इस प्रकार इस गाथामे मोहनीयके सव उदयस्थानोमे सव भगोकी कुल चौवीसी कितनी और फुटकर भग कितने होते हैं यह बतलाया है।
अब इन भगोकी कुल संख्या कितनी होती है यह बतलाते हैं