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सप्ततिकाप्रकरण एक भंग इस प्रकार स्त्री वेदके साथ दो भंग हुए। तथा पुरुपवेद
और नपुंसनवेदके साथ भी इसी प्रकार दो दो भंग होगे। ये कुल भंग छह हुए। जो व्हो भग क्रोधके साथ भी होंगे। क्रोधके स्थान मानका उदय होने पर मानके साथ भी होंगे। तथा इसी प्रकार माया और लोभके साथ भी होगे. अतः पूर्वोक्त छह भगांको चारसे गुणित कर देने पर कुल भग चौवीस हुए। यह एक चौवीसी हुई।
इन मात प्रकृतियोंके उदय में भय, जुगुप्सा और अनन्तानुवन्धी चतुष्कोसे कोई एक कपाय इस प्रकार इन तीन प्रकृतियोंमें से क्रमश. एक एक प्रकृत्तिके उदयके मिलाने पर याठ प्रतियोका उदय तीन प्रकारसे प्राप्त होता है और इसीलिये यहाँ भंगोकी तीन । चौबीसी प्राप्त होती हैं, क्योंकि सात प्रकृतियोंके उदयमें भयका उदय मिलानपर आठके उदयके साथ भंगांकी पहली चौवीसी प्राप्त हुई। तथा पूर्वोक्त सात प्रकृतियोंके उदयमें जुगुप्साका उड्य मिलाने पर पाठके उदयके साथ भंगोंकी दूसरी चौबीसी प्राप्त हुई। इसी प्रकार पूर्वोक्त सात प्रकृनिगेंके उदयमें अनन्तानुवन्धी क्रोधादिकमें से किसी एक प्रकृतिके उदयके मिलाने पर आठके उदयके साथ भंगी की तीसरी चौवीसी प्राप्त हुई। इस प्रकार आठ प्रकृतिक उदयस्थान के रहते हुए मंगों की तीन चौरीसी प्राप्त हुई।
शंका-जब कि मिथ्यात्रष्टि जीवके अनान्तानुबन्धी चतुछकका उदय नियमसे होता है तब यहाँ सात प्रकृतिक उदयस्थान में और भय चा जुगुप्सामें से किसी एकके उदयसे प्राप्त होनेवाले पूर्वोक्त दो प्रकारके आठ प्रकृतिक उदयस्थानों से अनन्तानुवन्धी के उदयसे रहित क्यों वनलाया ? 'समाधान-जो सम्यन्त्रष्टि जीव अनन्तानुवन्धी चतुष्ककी