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८ प्रकृ० ८ प्रकृ ०
वन्धस्था० | उदयस्था०, सत्त्वस्था०
७ प्रकृ० ! ८ प्रकृ०
६ प्रकृ०
१ प्रकृ०
१ प्रकृ ०
१ प्रकृ०
८ प्रकृ०
"
७ प्रकृ०
सप्ततिकाप्रकरण
[ ४ ४ ]
स्वामी
८ प्रकृ०
८ प्रकृ०
८ प्रकृ
मिश्र, बिना
अप्र० तक
छह गुण ०
प्रारम्भ के
९ गुण ०
जघन्य
अन्तर्मु०
अन्तर्मु ०
सूक्ष्म सम्प०, एक समय
८ प्रकृ० उपशान्तमोह एक समय
७ प्रकृ० ७ प्रकृ० क्षीणमोह अन्तर्मु•
काल
उत्कृष्ट
अन्तर्मुहूर्त
छे माह और अन्त ०
कम पूर्वकोटिका त्रिभाग अधिक तेतीस सागर
अन्तर्मुहूर्त
श्रन्तर्मुहूर्त
अन्तर्मुहूर्त
४ प्रकृ० - ४ प्रकृ० | सयोगी जिन अन्तर्मु० देशोन पूर्वको ०
योगी जिन | अन्तर्मु• श्रन्तर्मुहूर्त
४ प्रकृ० | ४ प्रकृ०
२. मूलकर्मो के जीवस्थानों में संवेध भंग
अव मूल प्रकृतियों की अपेक्षा वन्ध, उदय और सत्प्रकृतिस्थानोके परस्पर संवेध से प्राप्त हुए इन विकल्पोको जीवस्थानोमे चतलाते हैं