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अनुसन्धान करता है जिसके आधार पर विश्व के तथ्यों और घटनामों की संगतिपूर्ण व्याख्या एवं स्पष्टीकरण किया जा सकता है। भौतिक विज्ञान उस वास्तविक विधान या बौद्धिक नियमों का अन्वेषण करता है जिसके द्वारा घटनाएँ संचालित होती हैं, जो उन्हें संगति और एकता देते हैं। नीतिशास्त्र इस ज्ञेयव्यवस्था से परे उस परम आदर्श को खोजता है जिसके द्वारा विश्व-विधान तथा विश्व-व्यापारों का मूल्यांकन किया जा सकता है । यथार्थ विज्ञान का घटनाओं से वहीं तक सम्बन्ध है जहाँ तक वह उनके घटित होने को समझा सकता है, उनकी गणना कर सकता है । नीतिशास्त्र इस भौतिक व्यवस्था से परे उस नैतिक व्यवस्था की खोज करता है जो मानव-जीवन को महान् बना सकती है और यहाँ पर वह मानव-कल्याण का विज्ञान बन जाता है। उसका निःश्रेयस से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। मानव-जीवन की प्रगति और उसका अधिकाधिक कल्याण उसका चरम ध्येय है । वह विज्ञान की शक्ति से ध्वंसात्मक और स्वभावत: लोभी मानव को कल्याण के पथ पर अग्रसर कर उसे लोक-मंगल का विधायक बनने के लिए प्रेरित करता है।
तत्त्वदर्शन से सामीप्य-मानव के परम कल्याण की खोज करने के कारण नीतिशास्त्र तत्त्वदर्शन के अत्यधिक निकट आ जाता है । वह अपने आदर्श के लिए विज्ञान पर इतना अधिक निर्भर नहीं है। उसे हम केवल विज्ञान के व्यापक अर्थ में ही विज्ञान कह सकते हैं। विज्ञान का सम्बन्ध अनुभव के विशिष्ट अंग से है। यह सापेक्ष ज्ञान की खोज कर विशेष दृष्टिकोण से अनुभव का अध्ययन करता है। नक्षत्र-विद्या और पदार्थ-विद्या का महत्त्व उन्हीं के लिए है जो इन विद्यानों के बारे में अपनी जिज्ञासा का समाधान अथवा किसी विशिष्ट तथ्य का प्रतिपादन करना चाहते हैं। विज्ञान कुछ आवश्यक मान्यताओं के आधार पर ही अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन कर सकता है। अतः प्राकृतिक विज्ञान अधिकतर तत्त्वदर्शन से स्वतन्त्र रहते हैं। किन्तु नीतिशास्त्र का इससे घनिष्ठ सम्बन्ध है। वह अपने आदर्श का स्वरूप भी तत्त्वदर्शन के अनुरूप निर्धारित करता है। नीतिशास्त्र का सम्बन्ध जीवन के क्रियात्मक पक्ष से है। उसके लिए जीवन का प्रत्येक क्षण महत्त्वपूर्ण और अर्थगभित है। वह उस परमसत्य के स्वरूप को निर्धारित करना चाहता है जिसका सार्वभौम और निरपेक्ष गुण सर्वमान्य हो अथवा जिसका सब देशों और सब कालों में एक ही स्वरूप हो। ऐसे निरपेक्ष आदर्श की स्थापना वह तत्त्वदर्शन की सहायता से ही कर सकता है। नीतिशास्त्र यह भी मानता है कि मनुष्य का अपने भौतिक और सामाजिक वातावरण से
नीतिशास्त्र और विज्ञान | ३५
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