________________
विश्वात्मा को तादात्म्य की ओर ले जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति, सामाजिक उत्तरदायित्व और लोककल्याण की ओर पूर्णतः सचेत रहता है। वह विश्व में सर्वत्र संगति और समानता देखता है। उसका जीवन जन-मंगलमय हो जाता है ।
पूर्णतावाद | २७७
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org