________________
२५
गांधीजी
जीवनी – मोहनदास कर्मचन्द गांधी का जन्म सन् १८६६ में २ अक्टूबर को पोरबन्दर ( कठियावाड़) में हुआ । वैष्णव परिवार में पलने के कारण उनके मन में बचपन से ही धार्मिक संस्कारों ने घर कर लिया था । फलतः वेद, उपनिषद् और विशेषतः रामायण के प्रति उनके मन में अगाध श्रद्धा पैदा हो गयी जो आगे चलकर अनन्य रामभक्ति में परिणत हो गयी । बालक मोहनदास के हृदय में सदाचार तथा सत्य के प्रति एकान्त आग्रह रहा । जब वह पीछे बैरिस्टरी पढ़ने के लिए विदेश भेजे गये तब उन्होंने विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन कर उन्नत प्रदर्शों को आत्मसात् कर लिया। इस प्रकार उनके भीतर होनहार महात्मा ने विलायत में ही जन्म ले लिया । दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने अपने आदर्शों को प्रयोग की कसौटी पर कसा और प्रवासी भारतवासियों पर हो रहे गोरों के अत्याचारों से पीड़ित होकर अपने प्रसिद्ध सत्याग्रह आन्दोलन को जन्म दिया । भारत लौटने तक गांधीजी एक सिद्ध जननायक बन चुके थे । यहाँ पहुँचने पर सालभर बाद ही उन्होंने भारतीय जनता में राष्ट्रीय जागरण तथा स्वतन्त्रता की चेतना भरने का व्रत लिया । सन् १९२१ में उन्होंने अपना पहल सत्याग्रह आन्दोलन छेड़ा और कई वर्षों तक लगातार सविनय अवज्ञा - पूर्वक अपने अहिंसात्मक आन्दोलन से १५ अगस्त १९४३ में भारत को दासता के बन्धनों से मुक्त करा दिया । यह स्वतन्त्रता का रक्तहीन संग्राम संसार के इतिहास में अद्वितीय था । इसके प्रादर्श प्राण जननायक ने सत्य और अहिंसा का सामूहिक प्रयोग कर मानव जाति के सामने एक महान् मानवीय प्रदर्श उपस्थित कर दिया । ३० जनवरी १९४८ में जब गांधीजी प्रार्थना सभा में जा
३४६ / नीतिशास्त्र
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org