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भी आवश्यक है । अतः नीतिशास्त्र ने मिश्रित प्रणाली एवं समन्वयात्मक प्रणाली को स्वीकार किया । ब्रेडले ने मनुष्य के सामाजिक और बौद्धिक स्वरूप को महत्त्व देने के कारण इस प्रणाली को अपनाया है । नीतिशास्त्र अपने लक्ष्य और उद्देश्य में दार्शनिक है किन्तु अपनी प्रणाली में उन सत्यों की पुष्टि वैज्ञानिक रीति से करता है । जिस भाँति हम आदर्श विधायक विज्ञान से दो भिन्न विषयों को नहीं समझते हैं उसी भाँति नीतिशास्त्र के क्षेत्र में वैज्ञानिक और दार्शनिक दो भिन्न प्रणालियाँ नहीं हैं । दोनों प्रणालियों को नैतिक दृष्टि से समझने पर ज्ञात होगा कि नैतिक प्रणाली समन्वयात्मक है । वह तथ्यों के निरीक्षण और वर्गीकरण के साथ ही प्रालोचनात्मक, विश्लेषणात्मक, मूल्यपरक तथा चिन्तनप्रधान है । संक्षेप में नैतिक प्रणाली वैज्ञानिक और दार्शनिक, भागमनात्मक और निगमनात्मक, निरीक्षणात्मक और चिन्तनप्रधान एवं अनुभवातीत है ।
५० / नीतिशास्त्र
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