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करती है, सबको एकता के सूत्र में बाँधती है; साथ ही वह प्रत्येक व्यक्ति को मनुष्य का गौरव देती है । इस भाँति उन्होंने यह समझाया कि सब मनुष्य समान हैं। उन्होंने दास और स्वतन्त्र नागरिक को समानता के सूत्र में बाँध दिया । समानता की धारणा ने विश्व नागरिकतावाद अथवा विश्वबन्धुत्व को जन्म दिया तथा पारस्परिक निर्भरता और कर्तव्य की पारमार्थिक भावनाओं को उत्पन्न किया । कुछ लोगों के अनुसार यह श्रेय ईसाई धर्म को मिलना चाहिए | किन्तु ईसाई धर्म की उक्तियाँ भावुक और रहस्यात्मक हैं । प्रारम्भिक ईसाइयों ने तो दास प्रथा का मानव संस्था के रूप में विरोध तक नहीं किया । स्टोइसिज़्म ने चिन्तन - प्रधान और व्यावहारिक दृष्टिकोण को अपनाकर अपने सिद्धान्त को प्रभावोत्पादक और सक्रिय बनाया । मनुष्य के स्वतन्त्र व्यक्तित्व को महत्त्व देकर स्टोइसिज़्म ने पहली बार कानूनी अधिकारों के सिद्धान्त को एक सुरक्षित आधार दिया। आगे चलकर अधिकार और कर्तव्य के व्यापक तथा व्यवस्थित नियम बने जिन्होंने रोमन कानून के नाम से प्रसिद्धि पायी । सच तो यह है कि स्टोइसिज्म यूनानी जगत् को प्रभावित नहीं कर पाया । उसका प्रभाव रोमन और ईसाई जगत् पर पड़ा और आधुनिक जगत् को उसने ईसाई धर्म के माध्यम से प्रभावित किया ।
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बुद्धिपरतावाद / २१५
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