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व्यक्ति और समाज एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं । व्यक्ति की नैतिक अन्तदृष्टि सामाजिक मलिन प्रवृत्तियों का परिष्कार कर उसे एक शिष्ट और संस्कृत स्तर देती है । स्वस्थ और संस्कृत सामाजिक संस्थाएं पुष्ट परिपक्व व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं । अथवा व्यक्ति युगचेतना का अंश है, उसका प्राचरण सामाजिक पृष्ठभूमि में ही समझा जा सकता है । उसकी प्रेरणाएँ, आन्तरिक प्रवृत्तियाँ बहुत हद तक वातावरण और परिस्थितिजन्य होती हैं । किन्तु सामाजिक महत्त्व को स्वीकार करने के अर्थ यह कदापि नहीं हैं कि नैतिकता अपने मौलिक सत्य को भूल जाय । नीतिशास्त्र आदर्श - विधायक होने के कारण समाजशास्त्रीय यथार्थ से प्रागे बढ़ता है | समाजशास्त्र सामाजिक विधान को समभता है; उन आचरणों, भावनात्रों, निर्णयों को समझाता है जो कि सामाजिक प्राणियों या सामान्य मनुष्यों के संगठित समुदाय द्वारा व्यक्त होते हैं । नीतिशास्त्र मानव स्वभाव के इस व्यक्त रूप को समझने के साथ ही अपना आदर्शविधायक दृष्टिकोण भी रखता है । वह सामाजिक आदर्शों एवं प्रणालियों के चित्य - अनौचित्य पर निर्णय देता है । समाजशास्त्र उन सामाजिक ऐक्य के नियमों का स्पष्टीकरण करता है जिसके द्वारा मानव-आचरण सम्बन्धी विभिन्नतान, विरोधी भावनाओं और निर्णयों के अस्तित्व को समझा जा सकता है । नीतिशास्त्र इसके भी ऊपर यह बताता है कि कौन-सी आचरण की विभिन्नता उचित है और कौन-सा निर्णय प्रामाणिक है । उपर्युक्त कथन इन दोनों के सम्बन्ध और भेद को भी स्पष्ट करता है अर्थात् समाजशास्त्र केवल वर्णनात्मक विज्ञान है और नीतिशास्त्र आदर्श - विधायक विज्ञान है । आदर्श - विधायक होने के नाते नीतिशास्त्र समाजशास्त्र की भाँति तत्त्वदर्शन के निष्कर्षों से मुक्त नहीं है | समाजशास्त्र मुख्यतः सामूहिक जीवन का अध्ययन करता है । उसके अनुसार व्यक्ति सामूहिक जीवन का ही प्रतिबिम्ब मात्र है, उसका अपना अस्तित्व नगण्य है । नीतिशास्त्र व्यक्ति के उस स्वतन्त्र अस्तित्व का अध्ययन करता है जो समाज का अविच्छिन्न अंग होते हुए भी अपना विशिष्ट व्यक्तित्व रखता है । अतएव संकल्प की स्वतन्त्रता यदि नीतिशास्त्र की आवश्यक मान्यता है तो. समाजशास्त्र के लिए वह केवल थोथी प्रमाणित होती है । समाजशास्त्र मानसिक क्रियाओं का वस्तुगत विश्लेषण करता है । नीतिशास्त्र मानसिक व्यापारों का प्रान्तरिक दृष्टिकोण से अध्ययन करता है । वह आन्तरिक प्रवृत्तियों - इच्छा, प्रेरणा, उद्देश्य, संकल्प आदि - पर प्रकाश डालता है । समाजशास्त्र केवल सैद्धान्तिक है । नीतिशास्त्र सैद्धान्तिक के साथ ही व्यावहारिक भी है।
नीतिशास्त्र और अन्य विज्ञान / ५३
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