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समय में प्रतिपादन किया । उसके दो रूप मिलते हैं : उग्र और नम्र । उसके उग्र रूप के समर्थक हैं सिनिक्स, स्टोइक्स और काण्ट । सहजज्ञानवादी एवं कडवर्थ, क्लार्क, शैफ्ट्बरी, हचीसन और बटलर उसके नम्र रूप को अपनाते हैं । उग्र विचारकों का कहना है कि शुद्ध बुद्धिमय जीवन बिताना चाहिए । इन्द्रियों का पूर्ण रूप से उन्मूलन कर देना चाहिए। नम्र विचारक यह कहते हैं कि इन्द्रियाँ जीवन का अंग हैं पर जीवन मूल रूप में बौद्धिक हैं । अतः बुद्धि द्वारा निर्देशित जीवन व्यतीत करना चाहिए । बुद्धिपरतावाद के दोनों ही पक्षों का अध्ययन बतलाता है कि सभी विचारकों ने बुद्धि को अत्यधिक महत्त्व दिया । बुद्धिपरतावाद निर्मम अनुशासनवादी ( rigoristic ) है । उसके अनुसार इन्द्रियों पर बुद्धि का कठोर नियन्त्रण होना चाहिए । बुद्धि ही एकच्छत्र साम्राज्ञी है । उसके राज्य में इन्द्रियों का यो तो निष्कासन कर दिया जाता है, या उन्हें निष्क्रिय समर्पण की स्थिति में डाल दिया जाता है । कालक्रम के अनुसार यदि बुद्धि परतावाद का विभाजन किया जाये तो प्राचीन काल में सिनिक्स और स्टोइक्स मिलते हैं और अर्वाचीन काल में काण्ट तथा सहजज्ञानवादी |
प्राचीन उग्र बुद्धिपरतावाद : सिनिक्स और स्टोइक्स
सिनिक्स : विद्वेषवाद - सुकरात की मृत्यु के पश्चात् एण्टिस्थीनीज़' ने एथेन्स की एक व्यायामशाला में एक पाठशाला खोली । यह पाठशाला सिनोसर्जेस' के नाम से प्रसिद्ध थी, जिसके कारण एण्टिस्थीनीज़ और उसके अनुयायियों को सिनिक्स' के नाम से पुकारा गया । सिनिक शब्द यूनानी भाषा के उस विशेषण से मिलता है जिसका अर्थ 'कुत्ते के समान' होता है । अतः सिनिक शब्द में श्लेष है । एण्टिस्थीनीज़ और विशेषकर उसके शिष्य डायोजिनिस के प्रशिष्ट और उद्दण्ड स्वभाव के कारण व्यंग्य में लोगों ने उसके पन्थ के अनुयायियों को सिनिक अथवा कुत्ता कहा । सिनिक ने बौद्धिक स्वतन्त्रता के नाम पर कठोर वैराग्यवाद को अपनाया, सामाजिक मान्यताओं के प्रति विद्वेषात्मक भाव रखा, सामान्य सामाजिक मर्यादाओं की उपेक्षा की। अपनी इन विलक्षणताओं के
1. Antisthenes जन्म, २३६ ई० पू० ।
2. Cynosarges.
3. Cynics.
4. Diogenes.
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बुद्धिपरतावाद / २०५
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