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नीतिशास्त्र और अन्य विज्ञान
नीतिशास्त्र का अन्य शास्त्रों से सम्बन्ध नीतिशास्त्र आदर्श-विधायक विज्ञान है। इस आदर्श की भित्ति वास्तविक व्यावहारिक जगत है। इस दष्टि से नीतिशास्त्र के क्षेत्र में यथार्थ और आदर्श को संयुक्त मानना उचित होगा । नीतिशास्त्र का यथार्थवादी विज्ञानों से अनिवार्य सम्बन्ध है, उन सभी विज्ञानों से है जो मनुष्य के जीवन, स्वभाव और स्थिति पर प्रकाश डालते हैं एवं जो मनुष्य के सम्पूर्ण आचरण को समझाने में सहायक होते हैं । नैतिक सिद्धान्तों का अध्ययन करने पर यह और अधिक स्पष्ट हो जायेगा कि उसके सिद्धान्तों का पुष्टीकरण करने के लिए समाजशास्त्र, ईश्वरविद्या तथा तत्त्वदर्शन का ज्ञान' विशेष रूप से आवश्यक है। अतः इन्हीं विज्ञानों के साथ हम नीतिशास्त्र का सम्बन्ध समझने का प्रयास करेंगे।
समाजशास्त्र-समाजशास्त्र सामाजिक विकास और ह्रास की विभिन्न स्थितियों में मानव-जीवन का अध्ययन करता है। आधुनिक स्थिति तक पहुंचने के लिए आदिम बर्बर मनुष्य ने किन-किन स्थितियों का अतिक्रमण किया, प्राज जिस रूप में समाज को देखते हैं उसकी पूर्वकाल में क्या रूप-रेखा थी; समाज की उत्पत्ति, विकास और निर्माण किन नियमों द्वारा परिचालित होता है, समाजशास्त्र इनकी क्या व्याख्या करता है। सामाजिक संस्थानों, नियमों, अभ्यासों, प्रचलनों, रीतियों की उत्पत्ति में कौन विशिष्ट परिस्थितियाँ कार्य कर रही थीं,
१. नीतिशास्त्र का मनोविज्ञान से घनिष्ठ सम्बन्ध है। इस सम्बन्ध को सभी नीतिज्ञ मानते
हैं। इसके लिए देखिए-अध्याय ४ ।
नीतिशास्त्र और अन्य विज्ञान. / ५१
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