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विशिष्ट फल की उपलब्धि से है जिसे वह व्यक्त करती है। वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उचित साधनों की ओर ध्यान आकृष्ट करती है। नीति इस अर्थ में कला नहीं है । किसी प्रयोजन की सिद्धि इसका ध्येय नहीं है । नैतिकता के पीछे कोई ऐसा महान् उद्देश्य छिपा हुआ नहीं है जो मनुष्यों के आचरण को अप्रत्यक्ष रूप में नियन्त्रित करता है । नीतिज्ञ नैतिक आचरण को अपने में ही पूर्ण मानते हैं। कर्म अपने आपमें साध्य है। कर्म, कर्म के लिए है। वह स्वतः वांछनीय है, किसी महत् उद्देश्य की योजना का अंग नहीं है। नैतिक कर्मों को उनके पाभ्यन्तरिक गुणों के कारण स्वीकार करते हैं। उनका उद्देश्य किसी निश्चित फल का उत्पादन करना नहीं है। वह कला का उद्देश्य है । यदि कला लक्ष्य की पूर्ति की अपेक्षा रखती है तो नैतिकता आन्तरिक ध्येय की । कला की सफलता परिणाम पर एवं लक्ष्य की पूर्ति पर निर्भर है, चित्रकार के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति पर । उसके लिए अपने भावों को व्यक्त करना आवश्यक है। किन्तु नैतिक कर्म की सफलता परिणाम पर निर्भर नहीं है, वह उसके आन्तरिक गुण पर निर्भर है। अत: नीतिज्ञ कहते हैं-'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ।' सदाचारी का एकमात्र कर्तव्य शुभ कर्म करना है, उसे फल की आकांक्षा नहीं करनी चाहिए । असफलता पाने पर अथवा बुरी परिस्थिति में पड़ जाने पर भी वह सदैव अपने शुभाचरण द्वारा मणि-दीप के समान ज्योतित् रहेगा।
व्यावहारिक दर्शन-कई विचारक सिद्धान्त और व्यवहार के बीच स्पष्ट भेद मानते हैं। इसी कारण एक ओर वे नीतिज्ञ मिलते हैं जो नीतिशास्त्र को व्यावहारिक विज्ञान मानते हैं और दूसरी ओर वे जो उसे सैद्धान्तिक विज्ञान मानते हैं । किन्तु नीतिशास्त्र न तो मात्र व्यावहारिक है और न मात्र सैद्धान्तिक ही । वह व्यावहारिक होने के नाते ही सैद्धान्तिक है । इस तथ्य को समझने के लिए विज्ञान से उदाहरण लेना उचित होगा । प्रचलित धारणा के अनुसार विज्ञान केवल सैद्धान्तिक है। इस भ्रान्त धारणा के मूल में यह अभ्यास है कि लोग प्राकृतिक विज्ञानों को सत्य की उन बँधी हुई पद्धतियों के रूप में देखते हैं जो केवल पुस्तकों में पढ़ने को मिलती हैं, और जो बौद्धिक अभ्यासों के लिए साधनस्वरूप तथा लाभप्रद हैं। इतिहास बताता है कि विज्ञान के प्रारम्भ काल में उसके लिए केवल सैद्धान्तिक ही जिज्ञासा नहीं थी । मनुष्य की प्राकृतिक नियमों में स्वाभाविक रुचि होने के कारण वह अपने प्रयोजन की पूर्ति के लिए ही प्राकृतिक घटनाओं का कारण जानना चाहता था। उसकी भौतिक प्रावश्यकताओं
४० / नीतिशास्त्र
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