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दार्शनिक और वैज्ञानिक विधि में भेद-वैज्ञानिक के अन्तर्गत भौतिक, जैव, मनोवैज्ञानिक, ऐतिहासिक और उत्पत्ति-विषयक विधियाँ आ जाती हैं तथा दार्शनिक के अन्तर्गत वह विधि है जो परमसत्य के आधार पर नैतिक आदर्श के स्वरूप को निर्धारित करती है। वैज्ञानिक विधि को अपनानेवालों ने अनुभव
और प्रत्यक्ष के आधार पर प्रदत्तों को इकट्ठा किया और उनके अध्ययन और वर्गीकरण द्वारा सामान्य नियमों की स्थापना कर नैतिक नियमों का तथ्यात्मक वर्णन किया। दार्शनिक विधिवालों ने प्रदत्तों के अर्थ समझने की चेष्टा की। अपने ज्ञान को सांसारिक घटनाओं एवं बाह्य सत्यों और इन्द्रियजन्य ज्ञान तक सीमित न रखकर गम्भीर चिन्तन, विश्लेषण और बौद्धिक अन्तर्दृष्टि की सहायता ली। उन्होंने व्यक्तियों के सत्यस्वरूप को समझने का प्रयास किया और उस स्वरूप को नैतिक आदर्श का आधार माना। वैज्ञानिक विधि तथ्यात्मक और वर्णनात्मक है और दार्शनिक विधि आलोचनात्मक और चिन्तन-प्रधान है। वैज्ञानिक विश्लेषण की सहायता से प्रत्येक घटना को अलग-अलग समझना चाहता है तो दार्शनिक समग्रता के सम्बन्ध में समझने का प्रयास करता है ।
वैज्ञानिक विधि-वैज्ञानिक विधि को दो भागों में विभाजित कर सकते हैं : मनोवैज्ञानिक और अमनोवैज्ञानिक । मनोवैज्ञानिक विधिवाले विचारक वे हैं जिन्होंने नैतिक तथ्य को मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की सहायता से समझाया और अमनोवैज्ञानिक विधिवाले वे हैं जिन्होंने मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की सहायता नहीं ली। इन्होंने भौतिक और जैव तथ्यों से नैतिक तथ्यों का निगमन किया। इस भेद को यह कहकर भी समझाया जा सकता है कि अमनोवैज्ञानिक विधिवालों ने निगमनात्मक प्रणाली को स्वीकार किया और मनोवैज्ञानिक विधिवालों ने विश्लेषणात्मक एवं आगमनात्मक प्रणाली को । वह अमनोवैज्ञानिक प्रणाली जिसका प्रयोग विशेष रूप से स्पैंसर और जड़वादियों ने किया है, प्राकृतिक या भौतिक निगमनात्मक प्रणाली कहलाती है। इसका कारण यह है कि अमनो-वैज्ञानिक या निगमनात्मक प्रणाली का प्रयोग दार्शनिक विधिवालों ने भी किया है। अतः उनकी प्रणाली दार्शनिक निगमनात्मक प्रणाली है। ___ अमनोवैज्ञानिक विधि-विकासवादी सुखवादियों ने अपने सिद्धान्त द्वारा भौतिक और जैव प्रणाली को महत्त्व दिया। स्पैंसर का कहना है कि जैव नियमों से नैतिक नियमों का निगमन करना चाहिए । नैतिक नियमों को समझने के लिए
है। विधियों का वर्गीकरण उन्हीं की विशेषताओं के आधार पर कर सकते हैं। वास्तव में सिजविक ने सिद्धान्तों का वर्गीकरण किया है।
नीतिशास्त्र की प्रणालियाँ | ४५
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